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जरा संभलकर, लखनऊ का यह रहस्यमयी तालाब लेता है इंसानों की भेंट - हुसैनाबाद तालाब में जो नहाने जाता है जिंदा वापस नहीं आता

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में यूं तो कई पुराने स्मारक हैं पर हुसैनाबाद तालाब अपने आपमें अनूठा है. इसके बारे में कई रहस्यमयी बातें कही जाती हैं. यहां तक कहा जाता है कि कोई शख्स इसमें नहाने की कोशिश करता है तो जिंदा वापस नहीं आता.

हुसैनाबाद तालाब
हुसैनाबाद तालाब

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Published : Dec 14, 2020, 9:45 AM IST

लखनऊःअवध के नवाब मोहम्मद अली शाह बहादुर के दौर में लखनऊ में बना हुसैनाबाद तालाब अपने आप में कई दास्तान समेटे हुए है. अपनी खूबसूरती के लिए पहचाने जाने वाले इस तालाब में कई रहस्य भी दफन हैं. इस तालाब के बारे में कहा जाता है कि कोई शख्स इस तालाब में उतरकर नहाने की कोशिश करता है तो वह जिंदा वापस नहीं आ पाता. इस तालाब को आसपास के लोग और जानकार भेंट लेने वाले तालाब के नाम से भी जानते हैं. इस रहस्यमयी तालाब के बारे में यहां तक कहा जाता है कि साल में यह तालाब दो इंसानों की भेंट जरूर लेता है.

रहस्यमयी तालाब

साल में दो बार भेंट लेता है यह रहस्यमयी तालाब
पुराने लखनऊ के हुसैनाबाद इलाके में बना यह तालाब देखने में जितना खूबसूरत है उतना ही बदनाम भी है. इस तालाब के बारे में राजधानीवासी अलग-अलग कहानियां बताते हैं. लोग कहते हैं कि इस तालाब में तैरने या नहाने उतरे लोग कभी ज़िंदा वापस नहीं लौटे. लखनऊ की मशहूर शख्सियत और नवाबों के घरानों से ताल्लुक रखने वाले जाफर मीर अब्दुल्लाह बताते हैं कि बचपन से इस तालाब के बारे में सुनते आ रहे हैं कि यह तालाब हर साल 2 भेंट लेता है. भेंट किसी जानवर की नहीं बल्कि इंसान की होती है. हालांकि इसकी वजह क्या है यह आजतक किसी को नहीं मालूम लेकिन यह तालाब अबतक कई जानें ले चुका है.

हुसैनाबाद तालाब
चबूतरों के नीचे बने हैं रहस्मयी कमरेअवध के तीसरे नवाब मोहम्मद अली शाह बहादुर के दौर में सन 1837 से 1842 के बीच बना यह तालाब अपने आप में बेहद खूबसूरत और नायाब है. इस तालाब पर बने चबूतरों के नीचे रहस्यमयी कमरे बने हैं. बताया जाता है कि किसी दौर में नवाबों की बेगमों की यह पसंदीदा जगह हुआ करती थी क्योंकि गर्म मौसम के वक़्त यह जगह काफी ठंडी रहती थी. इस तालाब के बारे में बताया जाता है कि इसकी गहराई भी काफी ज्यादा है. जानकारों की मानें तो हुसैनाबाद तालाब तकरीबन 40 से 45 फिट गहरा है और इसका जुड़ाव गोमती नदी से है.
हुसैनाबाद तालाब
अक्सर तालाब में मिलती थीं लाशेंपुराने लखनऊ के रहने वाले मसूद अब्दुल्लाह कहते हैं कि शान-ए-अवध के दौर में यहां काफी आबादी रहा करती थी लेकिन उसके बाद यहां सन्नाटा होता गया. जंगल झाड़ियों के बीच यह तालाब रहने लगा. इस जगह पर सन्नाटा देख हत्या जैसी वारदातें भी बढ़ने लगीं और अक्सर यहां लाशें मिलने लगीं. उन्होंने बताया कि यहां कई बार लोगों ने आत्महत्या भी की है. इससे यह बातें भी फैलने लगीं कि यह तालाब इंसानों की भेंट लेता है.

तैरने जाने वालों की जान ले लेता है यह तालाब
हुसैनाबाद तालाब के बगल में रहने वाला छात्र अब्दुल समद का कहना है कि अक्सर इस तालाब में हादसे होते रहते हैं. अब्दुल समद बताते हैं कि जो भी इस तालाब में तैरने जाता है, वो मर जाता है. इसी वजह से बड़े बुजुर्ग इस तालाब से दूर रहने की सलाह देते हैं.


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