लखनऊ: देश में मुसलमानों कि सबसे बड़ी संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड वक्फ संपत्तियों के खुर्दबुर्द और वक्फ बोर्ड के जिम्मेदारों की मिलीभगत के चलते जमीनों पर होने वाले कब्जों पर चिंतित नजर आ रही है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक अहम बैठक बुलाकर वक्फ संपत्तियों के हो रहे नुकसान पर खुद मुसलमानों को ही दोषी माना और अब वक्फ औकाफ की हिफाजत के लिए खुद आंदोलन चलाने का फैसला किया है.
AIMPLB ने ऑनलाइन बैठक कर लिया फैसला
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारी समिति की एक ऑनलाइन बैठक मौलाना सैयद मोहम्मद राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में और कार्यवाहक महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी के प्रबन्धन में सम्पन्न हुई. कुरान की तिलावत के बाद उन्होंने मृतक सदस्यों के प्रति अपनी ताज़ियत (संवेदना) व्यक्त की, जिसके बाद उन्होंने पिछले 6 महीने की रिपोर्ट प्रस्तुत की. विशेष तौर पर इस्लाहे मुआशरा कमेटी, दारुल क़ज़ा कमेटी, सोशल मीडिया डेस्क और लीगल कमेटी के द्वारा किए जाने वाले प्रयासों की समीक्षा की.
बाराबंकी की ऐतिहासिक मस्जिद जमीदोज किए जाने के मामले पर भी हुई चर्चा
इस बैठक में उत्तर प्रदेश प्रशासन की ओर से मस्जिद गरीब नवाज जनपद बाराबंकी के विध्वंस की कड़ी निन्दा की गई और बोर्ड के वकील इस सम्बन्ध में जो कानूनी प्रयास कर रहे हैं. उस पर भी सन्तुष्टि व्यक्त की गई. कुछ समूहों की ओर से मौजूदा वक़्फ़ कानून को ख़त्म कर देने की जो बात कही जा रही है और राजनीतिक व न्यायिक स्तर पर जो कोशिश हो रही है, बैठक ने उसकी कड़ी निन्दा की और तय किया कि शांतिपूर्ण ढंग से ऐसे प्रयासों को विफल बनाया जाए. यह बात भी महसूस की गई कि वक़्फ़ की सम्पत्तियों के सिलसिले में स्वयं मुसलमानों की ओर से बड़ी ज़बरदस्तियां हुई हैं और बहुमूल्य सम्पत्ति बर्बाद हो रही हैं. इस संबंध में तहफ़्फ़ुज़-ए-अवक़ाफ़ के लिए एक आंदोलन चलाया जाए.
मुतवल्लियों व वक्फ से जुड़े लोगों को किया जाएगा जागरूक
बोर्ड ने इस मीटिंग में निर्णय लिया कि मुसलमानों और वक्फ के मुतवल्लियों को ध्यान दिलाया जाए कि वह वक़्फ़ के अवैध प्रयोग से सचेत रहें और अवकाफ की सुरक्षा करें. शीघ्र ही इस सम्बंध में बोर्ड की ओर से देश के विभिन्न भागों में जागरूकता अभियान आयोजित किए जाएंगे. बैठक में यह बात भी तय की गई कि मुस्लिम पर्सनल लॉ से सम्बंधित बोर्ड का संकलित किया गया मजमूआ कवानीन-ए-इस्लामी शीघ्रतापूर्वक उर्दू और अंग्रेज़ी में प्रकाशित कर दिया जाए. इसके साथ ही बोर्ड की ओर से लॉ जर्नल का विमोचन किया जाए जो अंग्रेज़ी और उर्दू दोनों भाषाओं में हो, जिसमें अल्पसंख्यकों से सम्बंधित संविधान में दी गई जमानतों और अदालती निर्णयों की व्याख्या की जाए. पर्सनल लॉ से सम्बंधित शरई कानून को आसान भाषा मे लिखा जाए और शरई कानून के सम्बंध में जो भ्रांतियां उत्पन्न की जाती हैं वह दूर की जाएं. यह पत्रिका अंग्रेजी और उर्दू दो भाषा में होगी और शीघ्र ही इसका विमोचन किया जाएगा.
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खुद अपने ऊपर लागू करें शरिया कानून
बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबेह हसनी नदवी ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि हमें स्वयं अपने ऊपर शरिया कानून लागू करना चाहिए. झूठे और क्रूर रीति-रिवाजों से बचना चाहिए और प्रत्येक स्तर पर एकता और सद्भाव का सबूत देना चाहिए. बैठक में मौलाना फखरुद्दीन अशरफ किछौछवी, मौलाना सैय्यद जलालुद्दीन उमरी, मौलाना काका सईद अहमद उमरी, मौलाना मुहम्मद फजलुर्रहीम मुजद्दिदी, मौलाना सैय्यद अरशद मदनी, मौलाना मुहम्मद उमरैन महफ़ूज रहमानी, मौलाना यासीन अली उस्मानी, डॉ. क़ासिम रसूल इलियास, मौलाना अतीक अहमद बस्तवी, मौलाना खलील-उर-रहमान सज्जाद नोमानी, मौलाना महमूद दरियाबादी, बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी, जनाब एडवोकेट यूसुफ़ हातिम मछाला, जनाब एडवोकेट एम.आर. शमशाद, प्रोफ़ेसर सऊद आलम क़ासमी, डॉ. ज़हीर काज़ी, जनाब कमाल फ़ारूक़ी, जनाब एडवोकेट ताहिर हकीम, मौलाना अनीस-उर-रहमान क़ासमी, मौलाना ख़ालिद रशीद फ़िरंगी महली, आरिफ़ मसूद, डॉ. अस्मा ज़हरा और अन्य सदस्यों ने भाग लिया.