लखनऊ:मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना डॉ. कल्बे सादिक का मंगलवार को इंतकाल हो गया. वरिष्ठ शिया धर्मगुरु व ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डॉ. कल्बे सादिक की हालत काफी लंबे समय से खराब थी. राजधानी लखनऊ के एरा मेडिकल कॉलेज के ICU में उनका इलाज चल रहा था. मेडिकल काॅलेज ने सोमवार को जारी हेल्थ बुलेटिन में बताया था कि उनकी दोनों किडनियों ने काम करना बंद कर दिया था. रात करीब 10 बजे मौलाना कल्बे सादिक ने एरा अस्पताल के ICU में अंतिम सांस ली.
नहीं रहे मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना डॉ. कल्बे सादिक
22:31 November 24
लंबे समय से बीमार थे मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना डॉ. कल्बे सादिक
17 नवंबर को कराया गया था भर्ती
उन्हें 17 नवंबर को सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया के चलते एरा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. एरा मेडिकल कॉलेज में उनमें जांच के दौरान निमोनिया के साथ यूटीआई और सेप्टिक शॉक की समस्या पाई गई थी. वह वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे. 81 वर्षीय मौलाना कल्बे सादिक ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और एशिया के एक बड़े इस्लामिक स्कॉलर थे. वह काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. मौलाना कल्बे सादिक के इंतकाल की सूचना उनके बेटे सिब्तैन नूरी ने दी.
मौलाना कल्बे सादिक के बेटे कल्बे सिबेतैन नूरी से बताया कि मौलाना को लंबे समय से कोलोरेक्टल कैंसर की शिकायत थी, जिसका इलाज पहले मेदांता और फिर लखनऊ के एरा अस्पताल में कराया जा रहा था. निमोनिया और अन्य शिकायतों के बढ़ जाने से उसकी हालत गंभीर बनी हुई थी.
शिक्षा के क्षेत्र में भी मौलाना कल्बे सादिक़ ने दिए योगदान
वरिष्ठ शिया धर्मगुरु और इस्लामिक स्कॉलर के साथ मौलाना कल्बे सादिक शिक्षाविद भी थे. वह लखनऊ स्थित एरा यूनिवर्सिटी, यूनिटी स्कूल और कॉलेज के साथ चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक भी थे. 1984 में मौलाना कल्बे सादिक ने तौहीदुल मुस्लिईमीन ट्रस्ट कायम किया, जिसका मकसद गरीब छात्र-छात्राओं को शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ावा देना और उनकी मदद करना था. तौहीदुल मुस्लिईमीन ट्रस्ट द्वारा मेधावी छात्र- छात्राओं को ट्रस्ट के जरिए से स्कॉलरशिप प्रदान कर उनकी हौसला-आफजाई करने का काम भी वक्त-वक्त पर किया जाता रहा है.