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मुन्ना बजरंगी के साले की हत्या मामले की फाइनल रिपोर्ट को स्वीकारने का सीजेएम का आदेश निरस्त - Mafia Munna Bajrangi

मुन्ना बजरंगी के साले और उसके साथी की हत्या का मामले में जिला जज ने फाइनल रिपोर्ट को स्वीकारने का सीजेएम का आदेश निरस्त कर दिया है. जिला जज ने मामे में पुनः सुनवाई के आदेश दिए है.

जिला कोर्ट लखनऊ
जिला कोर्ट लखनऊ

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Published : Jan 19, 2023, 10:56 PM IST

लखनऊःमाफिया मुन्ना बजरंगी के साले पुष्पजीत सिंह और उसके साथी संजय मिश्रा की घर जाते समय विकास नगर में हत्या करने के मामले में आरोपियों को क्लीन चिट देने वाली फाइनल रिपोर्ट को स्वीकार करने के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को जिला न्यायाधीश संजय शंकर पांडेय ने खारिज कर दिया है. जिला जज ने पत्रावली को सीजेएम को वापस भेजते हुए मामले में पुनः सुनवाई का आदेश दिया है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सीजेएम ने इस दोहरे हत्याकांड में पुलिस की फाइनल रिपोर्ट को चुनौती देने वाली अर्जी को खारिज कर दिया था. इसके साथ ही 1 मार्च 2019 को फाइनल रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था. कोर्ट ने कहा कि 1 मार्च 2019 का उक्त आदेश खारिज किया जाता है और सीजेएम को वादी के प्रोटेस्ट अर्जी पर पुनः सुनवाई करने का आदेश दिया जाता है.

मामले के वादी विकास श्रीवास्तव की और से वकील प्रांशु अग्रवाल ने सीजेएम के आदेश को चुनौती देने वाली निगरानी याचिका पर बहस करते हुए कहा कि वादी ने मामले की रिपोर्ट 6 मार्च 2016 को विकास नगर थाने में दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि उसकी बहन के पति पुष्पजीत सिंह अपने मित्र संजय मिश्रा के साथ घर जा रहे थे. इसी दौरान बाइक सवार हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर दोनों की हत्या कर दी. आगे कहा गया कि पुष्पजीत सिंह मुन्ना बजरंगी का साला था और मुन्ना बजरंगी के मुक़दमों की पैरवी करता था. जिसकी वजह से कृष्णानन्द राय के चचेरे भाई बृजेश कुमार राय, मनोज राय और आनंद राय उर्फ़ मुन्ना ने पुष्पजीत को अंजाम भुगतने की धमकी दी थी.

कहा गया कि रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने मामले की विवेचना की और आरोपी बृजेश राय, मनोज राय और आनंद राय उर्फ़ मुन्ना को क्लीन चिट देते हुए उनकी लोकेशन गाजीपुर, वाराणसी और बलिया बताते हुए मामले में 25 मई 2018 को फाइनल रिपोर्ट लगा दी. पुलिस की इस फाइनल रिपोर्ट को वादी ने प्रोटेस्ट अर्जी दाखिल कर चुनौती दी. लेकिन सीजेएम ने वादी की अर्जी को खारिज कर दिया. सीजेएम के इस आदेश को वादी की ओर से विधिक रूप से दूषित बताते हुए चुनौती दी गई थी.

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