लखनऊ : यूपी में निकाय चुनाव का बिगुल जल्द बजने वाला है। गुरुवार शाम को नगर निगम में महापौर, नगर पालिका और नगर पंचायत के लिए चेयरमैनों की आरक्षण सूची जारी कर दी गई है. 17 निगम निगम में छह बड़े शहरों पर महिलाएं महापौर का चुनाव लड़ेंगी. पांच दिसंबर 2022 को घोषित की गई सूची में भी महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की गई थीं, लेकिन इस बार नगर निगम बदल गए हैं. वर्ष 2017 के चुनाव में लखनऊ, कानपुर व गाजियाबाद की सीटें महिला के लिए आरक्षित थीं. इस बार भी इन सीटों पर महिला महापौर चुनी जाएंगी. लखनऊ नगर निकाय के 100 साल के इतिहास में पहली बार वर्ष 2017 में संयुक्ता भाटिया ने जीत दर्ज की थी. हालांकि पांच दिसंबर 2022 को जारी की गई अधिसूचना में उक्त तीनों सीटें अनारक्षित श्रेणी में घोषित की गई थीं. आयोग के गठन के बाद मेयर पद की सीटों में फेरबदल कर दिया गया है.
पिछली बार मेयर के लिए महिला सीट आरक्षित होने पर करीब सौ साल बाद लखनऊ नगर निगम को महिला महापौर मिली थीं. भाजपा से संयुक्ता भाटिया ने जीत दर्ज कर इतिहास में नाम दर्ज कराया था. वर्ष 1960 से नगर निगम के गठन के बाद से वर्ष 2017 तक लगातार मेयर के पद पर पुरुषों का ही दबदबा रहा. पांच दिसंबर को घोषित सूची में लखनऊ नगर निगम मेयर पद की सीट अनारक्षित होने से कई चेहरे नजर आने लगे थे. कई प्रमुख दलों के साथ ही छोटे दलों व संगठनों की ओर से पुरुष प्रत्याशियों ने प्रचार भी शुरू कर दिया था, लेकिन बदली आरक्षण सूची से पुरुष उम्मीदवारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है. भाजपा से ही कई महिला और पुरुषों ने दावेदारी पेश करने की कवायद शुरू कर दी थी. इनमें चिकित्सक, शिक्षक, व्यापारी व रिटायर्ड कर्मचारी भी बडे नेताओं के दरबार में दस्तक देने लगे थे.
वर्ष 1916 में यूपी नगर पालिका अधिनियम एक्ट बनाया गया था और 1917 में पहले भारतीय महापौर चुने गए थे. लखनऊ में नगर निगम क्षेत्र का गठन 1960 में हुआ थ.। जनसंघ विचारधारा से जुड़े राज कुमार श्रीवास्तव 1 फरवरी 1960 को लखनऊ के पहले नगर प्रमुख बने थे. इसके बाद 57 साल के इतिहास में वर्ष 2017 तक 18 नगर प्रमुख और महापौर निर्वाचित हो चुके हैं. इनमें से 5 जनसंघ, 8 कांग्रेस और 5 भाजपा समर्थित प्रत्याशी रहे.
बता दें, 21 नवंबर 2002 से नगर निगम में नगर प्रमुख को महापौर (मेयर) का नाम दिया गया. पिछले दो दशकों में पद्म भूषण स्व. डॉ. एससी राय लगातार भाजपा से दो बार मेयर रहे. इसके बाद डॉ. दिनेश शर्मा भी दो बार महापौर रहे. अब वर्तमान में महापौर संयुक्ता भाटिया भी एक बार फिर चुनाव लड़ने का दावा कर रही हैं. उनका कहना है कि उन्होंने पिछले पांच सालों में काफी काम कराए हैं. लखनऊ की जनता के लिए बजट विकास कार्यों पर खर्च किया गया है. उनके कामों के दम पर एक बार और मौका दिए जाने की बात कहती हैं. वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा की संयुक्ता भाटिया ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) की मीरा वर्धन को लगभग 1 लाख 31 हजार से अधिक मतों से हराया था. संयुक्ता भाटिया को अकेले ही 42% वोट मिले थे. अगर कुल वोटों की बात करें तो संयुक्ता भाटिया को 3 लाख 77 हजार के आसपास वोट मिले थे. इसके अलावा बसपा से बुलबुल गोडियाल व कांग्रेस से प्रेमा अवस्थी ने चुनाव लड़ा था.
वार्डों के आरक्षण में कोई बदलाव नहीं, 50 सामान्य, 35 सीटें महिला आरक्षित