लखनऊ: प्रदेश में अगले कुछ दिनों में नगर निकाय चुनाव (Municipal elections in Uttar Pradesh) की तारीखों की घोषणा होने जा रही है. चुनाव के लिए सभी पार्टियां अपने-अपने तरफ से रणनीति तय करने के साथ ही प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया में जुटी हुई हैं. एक ओर जहां भाजपा-सपा के बीच इन चुनावों में सीधी टक्कर दिख रही है तो वहीं इस चुनाव में पहली बार बहुजन समाज पार्टी भी अपने दम पर चुनाव की तैयारी में जुटी हुई है. वहीं दूसरी ओर प्रदेश के निकाय चुनाव में हाथ आजमा रही आम आदमी पार्टी को भी लेकर लोगों में उत्साह दिख रहा है. वहीं कांग्रेस केवल चुनाव मजबूती से लड़ने के ही दावे कर रही है.
आम आदमी पार्टी पूरी तैयारी से निकाय चुनाव में उतरने में जुटी हुई है, पार्टी की ओर से सभी नगर निगम में प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. राजधानी की बात करें तो राजधानी के सभी 110 वार्डों से टिकट के लिए आम आदमी पार्टी के पास प्रत्याशियों की एक लंबी चौड़ी लिस्ट है, ज्यादा से ज्यादा लोग टिकट की होड़ में शामिल हैं. वहीं दूसरी ओर प्रदेश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस नगर निकाय चुनाव के लिए अभी केवल रणनीति बनाने में जुटी है. आलम यह है कि चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे नेता भाजपा, सपा, आप व बसपा जैसी पार्टियों के कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस उत्तर प्रदेश कार्यालय सन्नाटे में है. पार्टी कार्यालय में केवल उन्हीं प्रत्याशियों का आना हो रहा है जो या तो पार्टी से प्रत्याशी रहे हैं या फिर अपने किसी रिश्तेदार को पार्टी का टिकट दिलाना चाहते हैं.
जानकारी देते राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ. दिलीप अग्निहोत्री राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ. दिलीप अग्निहोत्री का कहना है कि कांग्रेस मौजूदा समय में नए सिरे से संगठन निर्माण में जुटी हुई है. पार्टी ने अभी-अभी प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही छह प्रांतीय अध्यक्षों की नियुक्ति की है. अभी इनके ऊपर प्रदेश के नए संगठन को तैयार करने की जिम्मेदारी है. वहीं प्रदेश में कांग्रेस की मौजूदा स्थिति जिस तरह है उसे देख कर लोगों में पार्टी के टिकट पाने की कोई जल्दबाजी नहीं दिख रही है. डॉ. अग्निहोत्री ने बताया कि चुनाव डेट जारी होने के बाद जैसे ही सभी बड़ी पार्टियां अपने-अपने प्रत्याशियों का चयन कर लेंगी, उसी के साथ ही कांग्रेस में भी टिकट बंटवारे में तेजी देखने को मिलेगी. चुनाव के अंतिम चरण में विभिन्न पार्टियों से टिकट पाने से वंचित रह गए लोगों पर ही दांव लगाने की तैयारी कर रही है.
पार्टी नेताओं का कहना है कि किसी भी चुनाव के लिए प्रत्याशियों का चयन करना एक बड़ी चुनौती बन गई है. उदाहरण के लिए विधानसभा चुनाव 2022 के बाद जब आजमगढ़ में लोकसभा के लिए उपचुनाव हो रहा था तब पार्टी ने इस सीट पर प्रत्याशी उतारने के लिए अपने कई नेताओं व कार्यकर्ताओं से संपर्क किया, लेकिन कोई भी इस चुनाव में उतरने के लिए तैयार नहीं हुआ. ऐसे में पार्टी को बिना चुनाव लड़े ही पीछे हटना पड़ा था. इसी तरह कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी व राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी बीते कुछ समय पहले महिलाओं व किसानों से जुड़े मुद्दे को लेकर लखीमपुर कई बार आई गईं. उन्होंने लखीमपुर को अपना काफी समय दिया, इसके बाद भी अभी हुए गोला गोकर्णनाथ विधानसभा के उपचुनाव में भी पार्टी ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा, जबकि प्रियंका गांधी ने यहां काफी मेहनत की थी.
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