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'भारत में तालिबान से ज्यादा क्रूरता, यहां रामराज नहीं, कामराज' : मुनव्वर राना - lucknow

तालिबान को लेकर भारत में धर्मगुरु और मुस्लिम नेताओं के लगातार अजीब बयान आ रहे हैं. अब मशहूर शायर मुनव्वर राना (Munawwar Rana Support Taliban) भी तालिबान के हमदर्द बन बैठे हैं. मुनव्वर राना का कहना है, जितनी क्रूरता अफगानिस्तान में है, उससे ज्यादा क्रूरता तो हमारे यहां है. हम कभी अहिंसा के पुजारी बताए जाते रहे होंगे, भगवान राम के जमाने में लेकिन अब रामराज कहां है.

मुनव्वर राणा
मुनव्वर राणा

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Published : Aug 19, 2021, 2:07 PM IST

लखनऊ : यूपी में तालिबानों के लिए सॉफ्ट कॉर्नर रखने वालों की तादाद बड़ती जा रही है. सपा सांसद, AIMPLB प्रवक्ता और पूर्व मंत्री मौसाना मसूद मदनी के बाद अब मशहूर शायर मुनव्वर राना (Munawwar Rana Support Taliban) ने भी तालिबानी आतंकियों का समर्थन किया है. उनका कहना है कि तालिबानी बुरे लोग नहीं है. हालात की वजह से वह ऐसे हो गए हैं. इसके साथ ही मशहूर शायर का कहना है कि उन पर भरोसा किया जा सकता है.

अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर मुनव्वर राना (Munawwar Rana) का कहना है कि तालिबानियों के साथ 20 साल तक जुल्म हुए हैं. जब बीज ही ऐसा बोया गया तो वहां देवता कैसे पैदा होगा. इस तरह के बीज से मखमल तो नहीं निकल सकता है. उनका कहना है कि अफगानिस्तान हमेशा से हिंदुस्तान का दोस्त (Afaghanistan India’s Friend) रहा है. वहां के लोगों का हिंदुस्तान से खास लगाव है इसीलिए वह यहां आना पसंद करते हैं.

अफगानिस्तान में महिलाओं पर हो रहे जुल्म पर पर्दा डालते हुए मुनव्वर राना ने कहा कि साउदी अरब में भी इसी तरह के हालात हैं. इस मुद्दे पर पूरे ऐरा की बात करनी चाहिए. इसके साथ ही मशहूर शायर ने कहा कि तालिबानी कोई पागल नहीं हैं. अगर हिंदुस्तान ने अफगानिस्तान में विकास किया है तो वह उसे बर्बाद नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान पर भरोसा किया जा सकता है. वह धोखा देने वाले लोग नहीं हैं. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि मौजूदा अफगानिस्तान से भारत को कोई नुकासन नहीं है सिर्फ फायदा ही होगा.

मुनव्वर राना का कहना है कि हिंदुस्तान को अफगानिस्तान से नहीं बल्कि पाकिस्तान से डरने की जरूरत है. तालिबानियों का कश्मीर से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने तालिबानी आतंकियों की तुलना महर्षि वाल्मीकि तक से कर डाली. उन्होंने कहा कि वाल्मीकि जी पहले क्या थे और बाद में क्या हो गए. तालिबानी भी पहले से बदल चुके हैं. अब पहले जैसा माहौल नहीं है.

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