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20 साल पुराने मामले में मुख्तार की फिर नहीं हुई पेशी, कोर्ट नाराज

जेल में हमला करने और जान से मारने की धमकी देने के 20 साल पुराने मामले में आरोपी मुख्तार अंसारी को एक बार कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका. जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई से अंसारी की पत्रावली अलग कर दी, जबकि दूसरे सभी आरोपी कोर्ट में मौजूद थे. कोर्ट ने एक बार फिर से बांदा जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक, अतिरिक्त महानिदेशक कारागार, लखनऊ के पुलिस कमिश्नर व जिलाधिकारी, सूबे के पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव गृह व मुख्य सचिव को भी पत्र भेजने का आदेश दिया है.

20 साल पुराने मामले में मुख्तार की फिर नहीं हुई पेशी
20 साल पुराने मामले में मुख्तार की फिर नहीं हुई पेशी

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Published : Aug 17, 2021, 9:23 PM IST

लखनऊः एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने कारापाल व उपकारापाल पर हमला, जेल में पथराव व जानमाल की धमकी देने के एक मामले में अभियुक्त मुख्तार अंसारी की पत्रावली अलग करते हुए अन्य अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय कर दिया है. कोर्ट ने अभियुक्त युसुफ चिश्ती, आलम, कल्लू पंडित व लालजी यादव के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 336, 353 व 506 के तहत आरोप तय करते हुए अभियोजन को अपना साक्ष्य पेश करने का आदेश दिया है.

मंगलवार को यह सभी अभियुक्त अदालत में उपस्थित थे, लेकिन अभियुक्त मुख्तार अंसारी को पेश नहीं किया जा सका. लिहाजा मुख्तार की पत्रावली अलग कर दी गई.


विशेष जज ने इसके साथ ही अभियुक्त मुख्तार अंसारी की पेशी के लिए एक बार फिर से बांदा जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक, अतिरिक्त महानिदेशक कारागार, लखनऊ के पुलिस कमिश्नर व जिलाधिकारी, सूबे के पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव गृह व मुख्य सचिव को भी पत्र भेजने का आदेश दिया है.

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कोर्ट ने कहा है कि यह मामला 20 साल से लम्बित है, लेकिन कई आदेशों के बावजूद मुख्तार अंसारी को पेश नहीं किया जा रहा है. कोई आख्या भी नहीं भेजी गई है. जबकि अभियुक्त पर आरोप तय होना है.


बता दें कि 3 अप्रैल 2000 को इस मामले की एफआईआर लखनऊ के कारापाल एसएन द्विवेदी ने थाना आलमबाग में दर्ज कराई थी. इस मामले में मुख्तार अंसारी, युसुफ चिश्ती, आलम, कल्लू पंडित व लालजी यादव आदि को नामजद किया गया था. एफआईआर के मुताबिक पेशी से वापस आए बंदियों को जेल में दाखिल कराया जा रहा था. इनमें से एक बंदी चांद को विधायक मुख्तार अंसारी के साथ के लोग मारने लगे. आवाज सुनकर कारापाल एसएन द्विवेदी व उपकारापाल बैजनाथ राम चैरसिया तथा कुछ अन्य बंदीरक्षक उसे बचाने का प्रयास करने लगे. इस पर उन्होंने इन दोनों जेल अधिकारियों व प्रधान बंदीरक्षक स्वामी दयाल अवस्थी पर हमला बोल दिया.

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