लखनऊ:हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए एम्बुलेंस खरीदने और आपराधिक कृत्यों में उसके इस्तेमाल के मामले में माफिया मुख्तार अंसारी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र की त्रासदी और उस पर लगा एक दाग है कि मुख्तार अंसारी जैसे अपराधी यहां विधि निर्माता हैं. न्यायालय ने कहा कि लोगों के दिल और दिमाग में अभियुक्त का भय है, कोई भी उसे और उसके आदमियों को और उसकी राजनीति को चुनौती देने की हिम्मत नहीं करता. लिहाजा अभियोजन की इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि अभियुक्त जमानत पर बाहर आकर साक्ष्यों और गवाहों को प्रभावित कर सकता है.
यह आदेश जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने मुख्तार अंसारी की जमानत याचिका पर दिया. याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता वीके शाही ने दलील दी कि 21 दिसम्बर 2013 को डॉ. अल्का राय के नाम से बाराबंकी के परिवहन विभाग में एक एम्बुलेंस का फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पंजीकरण कराया गया.
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