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रीता बहुगुणा जोशी, मधुसूदन मिस्त्री और निर्मल खत्री को कोर्ट से नहीं मिली राहत - उत्तर प्रदेश समाचार

एमपी-एमएलए कोर्ट ने धरना-प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ और पुलिस बल पर हमला करने के मामले में रीता बहुगुणा जोशी, मधुसुदन मिस्त्री, निर्मल खत्री और प्रदीप जैन को आरोपों से मुक्त करने की अर्जी खारिज कर दी है.

एमपी-एमएलए कोर्ट लखनऊ.
एमपी-एमएलए कोर्ट लखनऊ.

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Published : Mar 20, 2021, 8:59 PM IST

लखनऊ: एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने धरना-प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ और पुलिस बल पर हमला करने के एक मामले में रीता बहुगुणा जोशी, मधुसुदन मिस्त्री, निर्मल खत्री और प्रदीप जैन को आरोपों से मुक्त करने की अर्जी खारिज कर दी है. उन्होंने इस मामले के सभी अभियुक्तों पर आरोप तय करने के लिए 3 अप्रैल की तारीख तय की है.

जानें पूरा मामला
इस मामले की एफआईआर 17 अगस्त 2015 को एसआई प्यारेलाल प्रजापति ने थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी. एफआईआर के मुताबिक उस दिन कांग्रेस पार्टी का लक्ष्मण मेला स्थल पर धरना-प्रदर्शन था. करीब पांच हजार कार्यकर्ताओं के साथ अचानक यह सभी अभियुक्तगण धरना स्थल से विधानसभा का घेराव करने निकल पड़े. इन्हें समझाने व रोकने का प्रयास किया गया लेकिन, वह नहीं माने. संकल्प वाटिका के पास पथराव करने लगे, जिससे भगदड़ मच गई. इस हमले में एडीएम पूर्वी निधि श्रीवास्तव, एसपी पूर्वी राजीव मल्होत्रा, सीओ ट्रैफिक अवनीश मिश्रा, एसएचओ आलमबाग विकास पांडेय और एसओ हुसैनगंज शिवशंकर सिंह समेत पुलिस के कई अधिकारी और पीएसी के कई जवान गम्भीर रुप से घायल हो गए. अशोक मार्ग से आने और जाने वाले आम लोगों को भी चोटें आईं. कई गाडियों के शीशे टूट गए, कानून व्यवस्था की छिन्न-भिन्न हो गई.

25 दिसंबर, 2015 को विवेचना के बाद पुलिस ने रीता बहुगुणा जोशी, मधुसूदन मिस्त्री और निर्मल खत्री समेत 18 अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की कई गम्भीर धाराओं और क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था.

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