लखनऊ:उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के एक लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. इसके बावजूद भी प्रदेश में B.ed और बीटीसी डिग्री धारक युवक बेरोजगार भटक रहे हैं. गौरतलब है कि बीते 3 साल में प्रदेश सरकार की तरफ से एक भी शिक्षक की नई भर्ती नहीं निकाली गई है. जबकि सिर्फ इन 3 सालों में 5 लाख से ज्यादा युवकों ने B.Ed, बीटीसी की पढ़ाई पूरी कर डिग्री हासिल की है. इनकी तरफ से लगातार सरकार से भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की मांग उठाई जा रही है. सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक ये बेरोजगार युवक सरकार और बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह को घेरने में लगे हुए हैं. जहां सोशल मीडिया पर ये (#97_नई_शिक्षक_भर्ती_जारी_करो) अभियान चला रहे हैं.
दरअसल, वर्तमान में राजधानी लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों की संख्या डेढ़ लाख से ज्यादा है. शिक्षा के अधिकार अधिनियम के प्रावधान के तहत प्राइमरी कक्षाओं में 30 बच्चों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक उपलब्ध होना चाहिए. वहीं, अपर प्राइमरी कक्षाओं में 35 बच्चों पर एक शिक्षक का मानक निर्धारित है. इसके अलावा अपर प्राइमरी कक्षाओं में गणित /विज्ञान, भाषा और सामाजिक विषय पढ़ाने के लिए एक-एक टीचर की जरूरत होती है.
सरकार ने माना पद है खाली
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से दिसंबर 2018 में 69,000 पदों पर शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी. उसके बाद 2 साल पहले सुप्रीम कोर्ट में दिए गए एक हलफनामे में प्रदेश सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि 51,112 शिक्षकों के पद खाली पड़े हुए. यह आंकड़ा 2 साल पुराना है. एक अनुमान के मुताबिक करीब 12,000 शिक्षक प्रति वर्ष के हिसाब से सेवानिवृत्त भी हुए हैं. यानी बीते 3 सालों में करीब 36,000 शिक्षक सेवानिवृत्त हुए.