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लॉकडाउन में यूपी के 70 फीसदी से अधिक रंगमंच कर्मी अवसाद ग्रस्त!

थिएटर एंड फिल्म वेलफेयर एसोसिएशन ने रंगमंच कर्मियों और कलाकारों के बीच उनकी मानसिक स्थिति पर एक सर्वे किया. इस सर्वे में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. सर्वे में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के 70 फीसदी से अधिक रंगमंच कर्मियों ने माना है कि वे मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं.

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Published : Jun 24, 2020, 4:12 AM IST

इस सर्वे में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.
इस सर्वे में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.

लखनऊ: कोविड-19 के कारण लागू हुए लॉकडाउन में रंगमंच और थिएटर से जुड़े हुए तमाम कलाकारों को लंबे समय से काम नहीं मिल रहा है. उन्हें रोजी-रोटी के लिए कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में थिएटर एंड फिल्म वेलफेयर एसोसिएशन ने रंगमंच कर्मियों और कलाकारों के बीच उनकी मानसिक स्थिति पर एक सर्वे किया. इस सर्वे में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.

अपनी परेशानी बताते हुए कास्टिंग डायरेक्टर अमित पांडेय ने कहा कि उनके सामने कई मुसीबतें हैं. लॉकडाउन की वजह से उनके पास काम नहीं है. कई मॉडलिंग से जुड़े व्यक्तियों की प्रोफाइल और पोर्टफोलियो आते हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते किसी भी तरह का फोटो शूट, मॉडलिंग शूट, प्रिंट शूट आदि नहीं हो रहा है. यह स्थिति एक जगह नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश भर में है. उनकी आर्थिक स्थिति भी कमजोर होती जा रही है. इसी वजह से मानसिक रूप से भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

70 फीसदी से अधिक रंगमंच कर्मचारी तनाव में
रंगमंच कर्मियों पर सर्वे करवाने वाली संस्था थियेटर एंड फिल्म वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष बताते हैं कि काफी समय से कलाकारों के पास कोई काम नहीं है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के लगभग 500 कलाकारों पर सर्वे किया गया. कलाकारों की मानसिक और आर्थिक स्थिति से जुड़े हुए कई सवाल-जवाब सर्वे में पूछे गए. इस सर्वे के अनुसार लगभग 70 फीसदी से अधिक रंगमंच कर्मियों ने यह माना है कि वह डिप्रेशन में हैं या किसी न किसी तरह के मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. इसका कारण यह है कि उन्हें इस वक्त काम नहीं मिल पा रहा है. घर की रोजी-रोटी चलाना मुश्किल हो रहा है. इसके अलावा कुछ अन्य कारणों की वजह से भी उन पर मानसिक दबाव रहता है.

सर्वे करने वाली संस्था के सदस्यों से बातचीत करतीं संवाददाता.

अवसर के नाम पर हो रहा शोषण
फिल्म एंड थिएटर वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव दबीर सिद्धकी कहते हैं कि सर्वे में यह बात भी निकल कर आई है कि लगभग 66 फीसदी ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि अवसर देने के नाम पर प्रोडक्शन हाउसेस और कास्टिंग मैनेजर उनका मानसिक और शारीरिक रूप से शोषण करते हैं. इस वजह से भी कहीं न कहीं रंगमंच कर्मियों पर दबाव बना रहता है.

सरकारी-गैर सरकारी संस्थाओं तक बात पहुंचाने का प्रयास
विपिन का कहना है कि आर्टिस्ट्स की व्यथा को दूर करने के लिए प्रयास में लगे हुए हैं. कुछ सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है. ताकि थिएटर और रंगमंच से जुड़े लोगों को रोजी-रोटी का कुछ जरिया मिल सके. कोरोना काल में कोई काम नहीं मिला. ऐसे में स्थिति आगे चलकर और अधिक खराब होने वाली है. इसके अलावा रंगमंच कर्मियों पर मानसिक दबाव और शारीरिक शोषण करने वाले लोगों पर भी कार्रवाई हो, हम इस बात पर भी जोर डालेंगे.

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