लखनऊ: देश में करीब 350 से ज्यादा प्रजातियां सांपों की पाई जाती है, जिनमें से अधिकांश 70 फीसदी सांप बिना विष वाले होते हैं और बाकी प्रजातियों में भी कुछ ही सर्प ऐसे होते हैं, जिनका काटना इंसान के लिए खतरनाक साबित होता है. लखनऊ में जहरीले सर्पों में कोबरा, करैत, रसल वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर पाए जाते हैं. राजधानी में इन चारों सांपों को बिग फोर कहा जाता है. इन चारों सांपों के काटने के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं.
सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसके नंदा ने बताया कि अभी तक एक भी ऐसे मरीज नहीं आए हैं, जिन्हें सांप ने काटा हो और अगर कोई मरीज आता है तो उसे बेहतर ट्रीटमेंट दिया जाएगा. अस्पताल में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन (Anti Snake Venom Injection) उपलब्ध है.
'मई से अगस्त तक बाहर रहते हैं सांप'
आदित्य तिवारी पर्यावरणम सोसाइटी से जुड़े हुए हैं. ये सांपों को पकड़ने का काम करते हैं. ईटीवी भारत (ETV BHARAT) से बातचीत में उन्होंने बताया कि बरसात के मौसम में सांप अपने बिलों से बाहर निकलते हैं. मई से अगस्त तक बाहर रहते हैं. कोरोना संक्रमण काल में जब लोग घरों में थे तो आदित्य जिला प्रशासन के पास के माध्यम से घरों में मिले सांपों को पकड़ कर उन्हें जंगलों में छोड़ने का काम कर रहे थे. हर रोज 5 से 6 फोन सांप पकड़ने के लिए आते थे और इस समय रोज 10 कॉल सांप पकड़ने के लिए आती है. हर जगह जाना होता है क्योंकि लोग डरे सहमे भी रहते हैं.
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उन्होंने बताया कि पुलिस हेल्पलाइन नंबर 112 के माध्यम से भी उनके पास फोन आते हैं. इसकी सूचना वन विभाग को देने के बाद ही वह सांप पकड़ने जाते हैं.
हर साल 5 हजार लोगों की मौत
भारत में कुल 350 किस्म के सांप पाए जाते हैं. सांपों का इस धरती पर अस्तित्व 130 मिलियन सालों से है यानी कि डायनासोर के समय से. भारत में हर साल लगभग 2.50 लाख लोग सांप के काटने का शिकार होते हैं, जिनमें से करीब 5 हजार लोगों की मौत हो जाती है. जबकि सरकारी आंकड़ा सिर्फ 20 हजार का है.
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'अगर सांप काट ले तो घबराएं नहीं'