लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस अपना कहर बरपा रहा है. न्यायपालिका, विपक्ष, यहां तक की विषय विशेषज्ञ भी पूर्ण लॉकडाउन की बात कर रहे हैं, लेकिन राज्य की योगी सरकार आंशिक कर्फ्यू लागू करके संक्रमण रोकने की कवायद में जुटी है. सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है, जो सरकार संपूर्ण लॉकडाउन से कतरा रही है. सरकार यह दलील दे सकती है कि पिछले 6 दिनों में कोविड के सक्रिय मामलों में गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन मौत के आंकड़े भयावह हैं. कल यानी छह मई को 24 घंटे में 353 लोगों की संक्रमण से मौत का आधाकारिक रिकार्ड सामने आया है. वहीं लखनऊ में 65 मरीजों की मौत हुई है.
यूपी में 14 तो लखनऊ में दो हजार से ज्यादा मौत
उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से कोविड संक्रमण में गिरावट देखने को मिल रही है. मौजूदा समय में दो लाख 59 हजार 844 कोविड संक्रमण के सक्रिय केस हैं. सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वायरस के इस संक्रमण से उत्तर प्रदेश में अब तक 14 हजार 501 लोगों की मौत हुई है. अकेले लखनऊ की बात की जाए तो अब तक 2003 लोग कोविड से अपनी जान गवां चुके हैं. मौत के आंकड़ों में कानपुर पूरे प्रदेश में दूसरे पायदान पर खड़ा है. औद्योगिक नगरी कानपुर ने एक हजार 370 लोगों को खोया है. इसके बाद वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, गौतमबुद्ध नगर जैसे शहरों में बड़ी संख्या में लोग काल के गाल में समा गए.
कोर्ट से लेकर विशेषज्ञ तक कर चुके लॉकडाउन की बात
कोर्ट से लेकर विशेषज्ञ तक लॉकडाउन लगाने का सुझाव दे चुके हैं. हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन लगाए जाने की बात की तो सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई. सरकार ने दलील दी कि जान बचाने के साथ ही लोगों का रोजगार बचाना भी आवश्यक है. वहीं एम्स के निदेशक डॉक्टर गुलेरिया ने स्पष्ट तौर पर यह बात कही है कि जिन क्षेत्रों में वायरस का संक्रमण ज्यादा है. इसकी चपेट में आने से लोगों की मौत हो रही है. उन क्षेत्रों में संपूर्ण लॉकडाउन की जरूरत है. वह भी कम से कम 15 दिन. साप्ताहिक लॉकडाउन या आंशिक लॉकडाउन का कोई लाभ नहीं मिलने वाला है. इसके साथ ही बिहार, दिल्ली, राजस्थान जैसे राज्यों ने लॉकडाउन लागू किया है.