लखनऊ : मुसलमानों के पाक और मुकद्दस महीने रमज़ान के चांद का दीदार बुधवार को नहीं हो सका. मरकजी चांद कमेटी फरंगी महल सहित शिया और इदारे शरिया फरंगी महल ने चांद नहीं नज़र आने की तस्दीक की. मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि बुधवार को पूरे मुल्क में कहीं से भी चांद दिखने की सूचना नहीं है. लिहाजा शुक्रवार को पहला रोजा और गुरुवार रात से तरावीह की नमाज़ अदा की जाएगी. इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद ने सभी धर्मों के लोगों से मिलजुलकर रहने की अपील की है.
लखनऊ में नहीं नजर आया माहे रमजान का चांद, पहला रोजा 24 को
मुकद्दस महीने रमज़ान के चांद का दीदार बुधवार को नहीं हो सका. ऐसे में शुक्रवार को पहला रोजा और गुरुवार रात से तरावीह की नमाज़ अदा की जाएगी. इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद ने सभी धर्मों के लोगों से मिलजुलकर रहने की अपील की है.
बता दें. मुसलमानों के लिए इस्लामिक महीना रमज़ान बेहद पाक और मुकद्दस माना जाता है. इस पवित्र महीने में हर मुसलमान पूरे माह रोज़े रखकर इबादत करता है और गरीबों को दान देता है. इस महीने में जितनी हो सके उतनी गरीबों की मदद करनी चाहिए. रमजान में मन को शुद्ध रखना बहुत जरूरी है. तभी रोजा पूरा होता है. रोजे के दौरान संयम का तात्पर्य है कि आंख, नाक, कान, जुबान को नियंत्रण में रखा जाना. रोजा रखने के लिए मुस्लिम लोग रोज सूरज उगने से पहले सहरी और शाम को इफ्तार के समय रोजा खोलते हैं. यह क्रम पूरे महीने चलता है. रमजान महीने के पहले अशरे (10 दिन) को 'रहमतों का दौर' बताया गया है.
रमजान महीने के दूसरे अशरे को 'माफी का दौर' कहा जाता है. जिसमें सभी मुसलमान अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं. इस्लामिक धर्म के अनुसार खुदा दूसरे अशरे पर नेक बंदों पर बहुत मेहरबान होता है और उनकी गलतियों को माफ कर देता है. रमजान महीने का तीसरा अशरे को 'जहन्नुम से बचाने का दौर' कहा जाता है. इस अशरे को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है.
ईदगाह में महिलाओं के लिए होंगे विशेष इंतेजाम : इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन और ईदगाह लखनऊ के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि इस वर्ष से ईदगाह में महिलाओं के लिए भी तरावीह की नमाज़ का इंतेजाम किया गया है। इसके लिए ईदगाह में एक हॉल में महिलाओं के लिए तरावीह की नमाज़ पढ़ने का पूरा प्रबंध रहेगा।
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