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हाईकोर्ट में ईद की नमाज मामले पर बोले मोहसिन रजा, याचिकाकर्ता करें इस्लाम का अध्ययन - मोहसिन रजा का बयान

उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने हाईकोर्ट में नमाज के लिए समय देने की याचिका पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि इसे लेकर याचिका दायर करने वालों को पहले इस्लाम का अध्ययन करना चाहिए.

अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री मोहसिन रजा
अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री मोहसिन रजा

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Published : May 21, 2020, 6:37 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट में ईद की नमाज के लिए 1 घंटे की समय देने की मांग को लेकर याचिका दी गई थी, जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने मीडिया में बयान जारी कर याचिकाकर्ताओं को पहले इस्लाम धर्म का अध्ययन करने की सलाह दी है.

हाईकोर्ट में ईद की नमाज मामले पर बोले मोहसिन रजा.
राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि कोई भी याचिका दायर करने से पहले मानवता का परिचय देना चाहिए, जब पूरी दुनिया में लॉकडाउन है, जान बचाना ही प्राथमिकता है और ऐसे में कोई भी मजहब नहीं कहता कि जान को जोखिम में डालकर इबादत की जाए. लोगों को इस तरह की रिट नहीं दायर करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जब कोरोना संकटकाल खत्म होगा तो सभी लोगों को अपने अपने धर्म में इबादत करने की इजाजत होगी. उन्होंने कहा कि मक्का बंद है, मदीना बंद है तो ऐसे में इस तरह की याचिका दायर करके लोग क्या जताना चाहते हैं.


याचिका दायर करने वालों को भी इस्लाम का अध्ययन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म मे तो यहां तक कहा जाता है कि अगर आप नमाज पढ़ रहे हो और आपको आपकी मां बुला ले तो आपको अपनी नमाज छोड़ देनी चाहिए. इसी तरह अगर किसी की जान जोखिम में हो और आप नमाज में हो तो आपको अगर वह शख्स बुलाता है तो आपको अपनी नमाज छोड़ देने का हुक्म है. ऐसे लोग इस तरह की याचिका क्यों दायर करते हैं, उन्हें भी समझना चाहिए.

राज्य मंत्री का यह बयान उस वक्त आया है जब हाईकोर्ट ने भी इस मसले में दखल देने से इनकार कर दिया है. पूरा मामला राज्य सरकार के जिम्मे कर दिया है. हालांकि तमाम मुस्लिम धर्मगुरु भी लगातार अपने घरों में इबादत करने की अपील कर रहे हैं.

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में ईद को लेकर मस्जिदों और ईदगाहों में नमाज की इजाजत की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीधे तौर पर राहत देने से इनकार कर दिया है. अदालत ने कहा कि पहले राज्य सरकार से इस संबंध में अनुरोध किया जाए. राज्य सरकार से अनुरोध खारिज होने या फिर अर्जी पेंडिंग होने पर याचिका दाखिल की जाए.

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