लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में पढ़ा रहे शिक्षकों को लंबे समय से समायोजन का इंतजार था. इसी कड़ी में विभाग में समायोजन से पहले शिक्षकों की वरिष्ठता सूची तय करने की प्रक्रिया भी शुरू की थी, लेकिन विभाग की ओर से बार-बार शिक्षकों की वरिष्ठता सूची तय करने में गलती हो रही है, जिसको लेकर शिक्षकों में काफी रोष व्याप्त है. बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों का कहना है कि 'वरिष्ठता सूची तय करने में विभाग जारी नियमावली की लगातार अनदेखी कर रहा है. बेसिक शिक्षा परिषद की लापरवाही का आलम यह है कि वरिष्ठता निर्धारण करने की प्रक्रिया को विभाग की ओर से चार बार संशोधित किया जा चुका है. एनआईसी पोर्टल पर जो सूची अपलोड हो रही है, उसको लेकर शिक्षकों की आपत्ति नहीं खत्म हो रही है.'
21 मार्च को जारी की थी तीसरी सूची : बेसिक शिक्षा परिषद ने बीते 16 मार्च को एक आदेश जारी कर कहा था कि 23 मार्च तक शिक्षक वरिष्ठता सूची को लेकर जो भी आपत्तियां हैं वह दर्ज करा सकते हैं. इसी कड़ी में विभाग में 21 मार्च को तीसरी वरिष्ठता सूची जारी की थी. वरिष्ठता सूची जारी होने और आपत्ति के लिए कम समय मिलने के कारण ज्यादा शिक्षक आपत्ति दर्ज नहीं करा पाए. अब जब विभाग ने समायोजन के लिए चौथी बार समायोजन की सूची जारी की तो शिक्षकों की आपत्तियां फिर सामने आ रही हैं. इसके तहत सचिव परिषद प्रताप सिंह बघेल ने सभी जिलों के बीएसए की मांग पर संशोधन के बाद वरिष्ठता सूची अपलोड करने की 4 अप्रैल तक बढ़ा दी है.
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली-1981 (संशोधित नियम 22) के अनुसार वरिष्ठता सूची निर्धारित करनी है, लेकिन विभाग की तरफ से दो-तीन बार से जो वरिष्ठता सूची जारी हो रही है उसमें इस नियमावली का पालन नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि नियमावली में किसी भी शिक्षक की वरिष्ठता सूची उसके प्रथम/मौलिक नियुक्ति तिथि से मान्य होगा. दो शिक्षकों की मौलिक तिथि सामान्य होने पर चयनित तिथि को सूची में क्रमांक मेरिट गुणांक के आधार पर वरिष्ठता तय की जाएगी. मृतक आश्रित के केस में परीक्षा उत्तीर्ण करने की तिथि मौलिक नियुक्ति तिथि होगी, उसके बाद उससे पूर्व 5 वर्ष की सेवा अवधि पूरा करने पर वरिष्ठता दी जाएगी.'