लखनऊ : पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं और इसी के साथ लोकसभा चुनावों की गतिविधियां भी तेज होने वाली हैं. हिंदी भाषी तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की जीत के बाद प्रदेश में भी भाजपा नेताओं का मनोबल बढ़ा हुआ है. इस जीत से लोकसभा सीटों के लिहाज से सबसे बड़े राज्य में भाजपा नेता काफी खुश हैं. उन्हें लगता है कि हालिया परिणाम आगामी चुनावों को संदेश दे रहे हैं. इन्हीं सब विषयों को लेकर हमने बात की उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण से. राजनीति में आने से पहले वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रहे असीम अरुण कन्नौज जिले की सदर विधानसभा सीट से चुनकर आए हैं. इनके पिता श्रीराम अरुण उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रह चुके हैं. असीम अरुण पहले आईपीएस अधिकारी थे, जिन्होंने कमांडो ट्रेनिंग ली थी. देखिए पूरा साक्षात्कार...
सवाल :सबसे पहले तो आपको बधाई. आपकी पार्टी ने तीन राज्यों में अप्रत्याशित रूप से बहुमत हासिल किया है. क्या हाल में हुए विधानसभा चुनावों के परिणामों का कोई असर लोकसभा चुनावों पर पड़ेगा?
जवाब : मंत्री असीम अरुण कहते हैं 'यदि उत्तर प्रदेश की बात करें, तो हम लोग बहुत ही अच्छे माहौल में लोकसभा चुनावों में प्रवेश कर रहे थे. अब जो तीन बड़े राज्यों में हमारी बड़ी जीत हुई है, निश्चित रूप से कार्यकर्ताओं का मनोबल भी ऊंचा होगा और जो हमारे सम्मानित नागरिक हैं, जो हमारे वोटर हैं, उनका मनोबल भी ऊंचा होगा. क्योंकि मोदी जी की नीतियों में विश्वास केवल उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में है. राजनीति में एक ही प्रमाण होता है चुनाव, बाकी विश्लेषण, आंकड़े, सर्वे आप देखते हैं, सब कुछ फेल हो सकता है.'
सवाल :लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में मुद्दे अलग-अलग होते हैं. मोदी सरकार को इस बार सत्ता में रहते दस साल हो जाएंगे. आपके सबसे ज्यादा सांसद हैं उत्तर प्रदेश में. लगातार सत्ता में रहने का कुछ नुकसान भी होता है. कई सांसदों से लोगों की अपेक्षाएं पूरी नहीं होतीं. क्या आपको लगता है कि इसका नुकसान भाजपा को हो सकता है?
जवाब : मंत्री असीम अरुण कहते हैं 'दोनों चीजें होती हैं. एंटी इनकम्बेंसी इसको बोलते हैं और प्रो इनकमबेंसी भी होती है. जैसे आप योगी जी के सेवा काल को देखिए. पांच साल मुख्यमंत्री रहने के बाद, दोबारा बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की. यह एक प्रो इनकंबेंसी का सबसे बड़ा उदाहरण है. एंटी इनकंबेंसी का प्रश्न तब उठता है, जब भ्रष्टाचार हो रहा हो. व्यवस्थाएं खराब हों. शासन कमजोर हो. यहां पर आप देखें, तो भ्रष्टाचार पर बड़ा प्रहार किया गया है. बहुत हद तक उसको दूर कर चुके हैं हम लोग. थोड़ा बचा है, उसको भी दूर करने की कोशिश हो रही है. जो विकास की योजनाएं हैं, वह गरीब कल्याण की योजनाएं हैं. हर घर तक पहुंचने वाली योजनाएं हैं. आज जब हम किसी भी गांव में जाते हैं, तो घर-घर में पूछते हैं कि अम्मा आपको कुछ सरकार की योजना का लाभ मिला, तो हर घर तीन-चार योजनाओं का लाभ पहुंचता है, ऐसा पता चलता है. लोकसभा चुनाव में पूरे देश और उत्तर प्रदेश में बहुत बड़ी जीत होगी. उत्तर प्रदेश में हम अस्सी में से अस्सी सीटें जीत कर आएंगे.'
सवाल :जातीय जनगणना को लेकर आपकी पार्टी की जो सोच है, उसे लेकर उत्तर प्रदेश में विरोधाभास दिखाई देता है. हाल ही में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह केंद्र का विषय है. इसका मतलब कि वह इस मुद्दे से सहमत हैं. आपका क्या मत है जातीय जनगणना को लेकर?
जवाब : समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण कहते हैं कि 'इस सवाल का जवाब सीधे हां या न में नहीं दिया जा सकता. जो नीतियां सरकार की हैं कि किस प्रकार लोगों को योजनाओं का लाभ देना है, किस प्रकार विभिन्न प्रकार का कोटा होना चाहिए, उसके लिए आंकड़े की आवश्यकता होती है. हालांकि जब हम अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का सेंसेस में आंकड़ा लेते हैं, तो हमको स्पष्ट मालूम होता है कि कितनी संख्या है. यदि ओबीसी की बात करें, तो एक बहुत बड़ा वर्ग है, जो क्रीमी लेयर में आता है. अब सवाल उठता है कि यदि क्रीमी लेयर को गिनें तो क्या उसे भी कोटे में शामिल करें या न करें. सुप्रीम कोर्ट ने भी कुछ सीमाएं लगा रखी हैं, वह भी देखनी होंगी.'
सवाल :नरेंद्र मोदी के सत्ता के बाद देश के हिंदुओं में जो एका हुआ है, जिसकी वजह से उनकी सरकार केंद्र में है. क्या जातीय जनगणना हुई, तो हिंदुओं में एक बार फिर बिखराव हो सकता है?