लखनऊ: 2022 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले कानपुर पुलिस कमिश्नर का पद और आईपीएस की नौकरी छोड़ने वाले असीम अरुण ने भारतीय जनता पार्टी से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की. मूलरूप से कन्नौज जिले के निवासी दलित समुदाय से आने वाले असीम अरुण ने अपने जिले की कन्नौज सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीतकर आए. उनके पिता श्रीराम अरुण भी आईपीएस अधिकारी थे और वह उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक भी रहे. असीम अरुण ने आईपीएस रहते हुए नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (एनएसजी) की ट्रेनिंग ली और ब्लैक कैट कमांडो बन आईपीएस के रूप में अपनी सेवाओं को और निखारा.
हम तकनीक का प्रयोग कर अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को अवसर दिलाएंगे: मंत्री असीम अरुण
पुलिस कमिश्नर का पद छोड़कर प्रदेश सरकार में मंत्री बने असीम अरुण से ईटीवी भारत यूपी के ब्यूरोचीफ आलोक त्रिपाठी ने बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि किस तरह वो विभाग में काम को आगे बढ़ा रहे हैं. गरीब, वंचित या समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को सक्षम बनाने के लिए उनकी क्या रणनीति है. पेश है उनसे बातचीत के कुछ प्रमुख अंश...
चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन पर विश्वास जताते हुए उन्हें समाज कल्याण विभाग के स्वतंत्र प्रभार के मंत्री की जिम्मादारी सौंपी. यह एक बड़ा विभाग माना जाता है. निश्चित रूप से असीम अरुण के सामने कई चुनौतियां हैं और उन्हें अच्छा काम करके खुद को साबित भी करना होगा. उनकी नौकरी से लेकर राजनीतिक जीवन की शुरुआत तक विभिन्न पहलुओं पर ईटीवी भारत यूपी के ब्यूरोचीफ आलोक त्रिपाठी ने बातचीत की. पेश हैं साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप