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लॉकडाउन प्रभाव: मुरादनगर में 60 की जगह 30 रुपये प्रति लीटर मिल रहा दूध - covid-19

दूध का व्यापार करने वाले किसान जमशेद ने बताया कि रमजान के महीने में भी दूध की सही कीमत नहीं मिल पा रही है, क्योंकि लोगों के पास लाॅकडाउन के चलते पैसे नहीं हैं, इसलिए उनका अधिकतर दूध बर्बाद हो रहा है.

दूध के दाम में गिरावट.
दूध के दाम में गिरावट.

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Published : May 3, 2020, 3:25 PM IST

नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान जहां अधिकतर खाद्य सामग्रियां तय दाम से ज्यादा रेट में बेची जा रही हैं, तो वहीं दूध के व्यापार पर इसका उल्टा असर पड़ता दिखाई दे रहा है. मुरादनगर कस्बे के किसान जो दूध बेचने के काम करते हैं उनका कहना है कि लॉकडाउन के चलते दूध के दाम 50 फीसदी की कमी आई है.

जानकारी देते वसीम अहमद.

दूध का व्यापार करने वाले किसान का कहना है कि लंबे वक्त से चले आ रहे लाॅकडाउन की वजह से उनको दूध के व्यापार में काफी नुकसान हो रहा है. सुचारु रूप से शहरी क्षेत्रों में दुध सप्लाई ना होने की वजह से वह आसपास के क्षेत्रों में ही सस्ते दामों में दूध बेच रहे हैं.

सप्लाई सुचारू नहीं
मुरादनगर कस्बे के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अधिकतर किसान पशुपालन कर उनके दूध का व्यापार करते हैं. उनके दूध की सप्लाई बड़े शहरी क्षेत्रों में होती है, लेकिन लाॅकडाउन के चलते दूध की सप्लाई सुचारू ढंग से नहीं हो पा रही है. इसलिए दूध व्यापारी काफी परेशान हैं. लाॅकडाउन के चलते पशुपालन कर दूध का व्यापार करने वाले किसानों को क्या दिक्कतें हो रही हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने किसान से बातचीत की.

बर्बाद हो रहा दूध
दूध का व्यापार करने वाले किसान जमशेद ने बताया कि रमजान के महीने में भी दूध की सही कीमत नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि लोगों के पास लाॅकडाउन के चलते पैसे नहीं हैं. इसलिए उनका अधिकतर दूध बर्बाद हो रहा है. इसके साथ ही उनका कहना है कि लाॅकडाउन की वजह से पशुओं का चारा भी महंगा हो गया है.

दूध की सप्लाई बंद होने से हो रहा है नुकसान
किसान ने बताया कि लाॅकडाउन से पहले उनके दूध की मांग इतनी अधिक होती थी कि वह उसको पूरा भी नहीं कर पाते थे. पहले वह 60 रुपये प्रति किलोग्राम दूध बेचते थे, लेकिन अब मजबूरी में उनको 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से अपने आस-पास के क्षेत्रों में दूध बेचना पड़ रहा है. इस वजह से उनको भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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