लखनऊःउत्तर प्रदेश में मिथाइल अल्कोहल विष अधिनियम के तहत जहर घोषित किया गया है. जिसके दृष्टिगत मिथाइल अल्कोहल के कब्जे और बिक्री के लिए लाइसेंस और परमिट जारी करने का प्रावधान किया गया है. इसके लिए जिलाधिकारी को लाइसेंस जारी करने के रूप में अधिकृत किया गया है. नियमों के तहत मजिस्ट्रेट के अलावा, पुलिस अधिकारी, राजस्व अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी और आबकारी तथा उद्योग के अधिकारी, जो निरीक्षक के पद से नीचे नहीं हैं, को इन लाइसेंसों के निरीक्षण करने का अधिकार दिया गया है.
अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर भूसरेड्डी ने बताया है कि मिथाइल अल्कोहल के प्रयोग पर कड़ी निगरानी रखने के आदेश जारी किए गए हैं. यदि मिथाइल अल्कोहल के उत्पादन के लिए लाइसेंस प्राप्त इकाइयों के अलावा कोई अन्य इस कारोबार में संलिप्त पाया जाता है तो ऐसी इकाई के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. मिथाइल अल्कोहल के उत्पादन, भंडारण और बिक्री की गहन निगरानी की जाएगी.
अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी ने बताया कि मिथाइल अल्कोहल से बनी अवैध शराब के सेवन से मौत होने पर, बड़ी मात्रा में अवैध शराब बरामद होने की स्थिति में स्थानीय आबकारी व पुलिस अधिकारियों व कर्मियों की जवाबदेही तय की जाएगी. अवैध शराब की गतिविधियों में शामिल पाए जाने वालों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट और एनएसए लगाया जाएगा. साथ ही उनकी संपत्ति को जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी. अतिरिक्त प्रत्येक व्यक्ति जो किसी भूमि या भवन का स्वामी है या ऐसे स्वामी का प्रबंधक है, जहां पर किसी नशीले पदार्थ का अवैध निर्माण होता है तो लेखपाल या चैकीदार, जिसके अधिकार क्षेत्र में ऐसी भूमि या भवन स्थित है, मजिस्ट्रेट या आबकारी पुलिस या राजस्व विभाग के किसी अधिकारी को तुरंत सूचना देने के लिए बाध्य हैं.
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