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स्मारक घोटालाः विजिलेंस ने पूर्व मंत्रियों के तत्कालीन प्रमुख सचिवों को भेजा नोटिस

बसपा सरकार में हुए 1400 करोड़ के स्मारक घोटाले में विजिलेंस (Vigilance) ने तत्कालीन मंत्रियों के साथ उनके विभागों के प्रमुख सचिवों को भी नोटिस भेजा है.

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स्मारक घोटाला

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Published : Jul 3, 2021, 7:16 PM IST

लखनऊः2022 विधानसभा चुनाव आते ही स्मारक घोटाले (Memorial Scam) में विजिलेंस की जांच ने तेजी पकड़ ली है. बसपा सरकार में हुए 1400 करोड़ के स्मारक घोटाले में विजिलेंस (Vigilance) ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई की है. विजलेंस ने 2007 से 2011 के बीच हुए इस महाघोटाले में शामिल तत्कालीन मंत्रियों के साथ उनके विभागों के प्रमुख सचिवों को भी नोटिस भेजा है. विजलेंस ने प्रमुख सचिवों व पूर्व मंत्रियों से पूछे जाने वाले सवालों की लिस्ट भी तैयार कर ली गई है. आरोपियों से 50 सवाल पूछे जाएंगे. फिर जवाब का मिलान कराया जाएगा कि सभी के बयानों में कितना विरोधाभास है. बता दें कि इस मामले में पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी को नोटिस भेजकर 15 जुलाई तक बयान दर्ज करवाने के लिए बुलाया गया है.

बता दें कि विजिलेंस ने बीते एक महीने में 6 गिरफ्तारियां करने के बाद अब घोटाले में शामिल बड़े अधिकारियों और मंत्रियो पर शिकंजा कस रही है. सूत्रों के अनुसार बसपा सरकार में बने पार्कों में घोटाले का तानाबाना मंत्रियों के साथ मिलकर अधिकारियों ने बुना था. इसमे खनन, लोक निर्माण और नगर विकास विभाग के तत्कालीन प्रमुखों की बड़ी भूमिका थी. घोटाले में इन विभागों के कई अन्य अधिकारी भी शामिल थे. इन अधिकारियों ने पत्थर के ठेकों से लेकर निर्माण में लगे अन्य मटेरियल का बड़े पैमाने पर फर्जी बिल का भुगतान किया था. इनमें कुछ अधिकारी रिटायर्ड हो चुके हैं.

कानूनी शिकंजा कस रही विजलेंस
स्मारकों के निर्माण से पहले मंत्रियों और अधिकारियों ने जिस तरह से फंसने के हर रास्ते बंद करके घोटाले की जमीन तैयार की थी, विजिलेंस उसी तरह योजनाबद्ध तरीके से उन पर कानूनी शिकंजा कस रही है. इसके लिए निर्माण करवाने वाली कार्यदायी संस्थाओं और टेंडर से लेकर भुगतान तक के लिए जिम्मेदार शासन के अधिकारियों की जांच अलग-अलग फेज में की जा रही है.

विजलेंस अभी तक 23 को भेज चुकी जेल
बता दें कि वर्ष 2013 से स्मारक घोटाले की जांच चल रही है और अब तक 23 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. वहीं, 6 के खिलाफ अक्तूबर 2020 में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है. विजिलेंस के साथ प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी मामले में जांच कर रहा है. प्रवर्तन निदेशालय ने स्मारक घोटाले में प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट का मामला भी दर्ज किया था और लखनऊ में इंजीनियरों और ठेकेदारों की संपत्तियों को कुर्क किया था.

लोकायुक्त जांच में हुआ था घोटाले का खुलासा
लखनऊ और नोएडा में स्मारकों के निर्माण में 1400 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था. इसकी शुरुआती जांच तत्कालीन लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा ने की थी. उन्होंने अपनी रिपोर्ट 20 मई 2013 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सौंपी थी, जिसमें उन्होंने पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व बाबू सिंह कुशवाहा समेत 199 लोगों को जिम्मेदार ठहराया था. अखिलेश सरकार ने विजिलेंस को जांच सौंपी थी. विजिलेंस की जांच में चार वर्षों में कोई प्रगति नहीं हुई थी. इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट के दखल के बाद विजिलेंस ने जांच पूरी की और अभियोजन की स्वीकृति के लिए प्रकरण शासन को भेजा था. लेकिन, कार्रवाई के नाम पर विजलेंस ने जांच ठंडे बस्ते में डाल दिया.

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घोटाले में कई हाई-प्रोफाइल लोग शामिल
घोटाले में बसपा के पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व बाबू सिंह कुशवाहा सहित तमाम हाई प्रोफाइल लोग नामजद है. इन राजनेताओं को भेजने के लिए विजिलेंस ने नोटिस भेज दिया है. विजिलेंस सूत्रों के मुताबिक, स्मारक निर्माण के लिए निर्माण निमग द्वारा कराए जा रहे कामों की समीक्षा तत्कालीन भी पीडब्ल्यूडी मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी करते थे. उच्चाधिकारियों की बैठक भी नसीमुद्दीन के आवास पर ही होती थी. निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग भी यही करते थे. इसी तरह बाबू सिंह कुशवाहा के आवास पर भी उच्चाधिकारियों की बैठक होती थी.

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