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लखनऊ: रक्षा मंत्री के संसदीय इलाके में विकास की धीमी रफ्तार, अतिक्रमण की समस्या बीच बाजार

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Published : Nov 20, 2019, 2:17 PM IST

राजधानी लखनऊ में मुख्य सड़कों व बाजारों में अतिक्रमण समस्या बनी हुई है. यही वजह है कि विकास की रफ्तार धीमी पड़ गई है. इस समस्या से निजात पाने के लिए जिलाधिकारी ने आलाधिकारियों के साथ बैठक की.

जिलाधिकारी ने अतिक्रमण को लेकर की बैठक.

लखनऊ: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संसदीय क्षेत्र में विकास की रफ्तार धीमी पड़ गई है. इसको लेकर प्रदेश के डिप्टी चीफ मिनिस्टर केशव प्रसाद मौर्या ने नाराजगी व्यक्त की है. वहीं इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने सभी आलाधिकारियों को बैठक के लिए बुलाया और सख्त हिदायत दी. इस बैठक में मुख्य समस्या अतिक्रमण को बताया गया.

जिलाधिकारी ने अतिक्रमण को लेकर की बैठक.

मुख्य वजह अतिक्रमण
बैठक में सभी अधिकारियों से सुझाव मांगे गए. बैठक में मुख्य समस्या अतिक्रमण बताई गई. पुरानी लखनऊ अतिक्रमण की जद में है. इसको लेकर पूरा जिला प्रशासन गंभीर है.

जिलाधिकारी ने दिया था अल्टीमेटम
जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए सभी पहलुओं को समझा. उन्होंने आलाधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि सभी रुकावटें जल्द से जल्द खत्म कर ली जाएं और उन्हें रिपोर्ट सौंपी जाए.

अतिक्रमण हटाने के लिए चलेगा अभियान
पुराने शहर की रोड काफी संकरी हैं. जिस वजह से वहां हर समय जाम लगता रहता है. यहां चलने वाले ऑटो और थ्री व्हीलर बीच सड़क पर ही खड़ी कर देते हैं. काफी समझाने के बाद भी यह लोग आदेश का पालन नहीं करते हैं.

दुकान का सामान रख देते हैं बाहर
यहां दुकानदार के सामान भी दुकान के बाहर रखे जाते हैं. यह भी एक मुख्य कारण है. जिस वजह से सड़क पर चलने वालों को जगह नहीं मिल पाती. इन दुकानदारों को कई बार सरकारी आदेश भेजे गए, लेकिन इन लोगों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी.

अपर जिलाधिकारी ने दिया बयान
इस बात पर जब ईटीवी भारत संवाददाता ने अपर जिलाधिकारी पश्चिम संतोष कुमार वैश्य से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि अतिक्रमण शहर की मुख्य समस्या है. इसके लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. जहां तक बात पुराने शहर के अतिक्रमण की है. इसको हटाने के लिए एक टीम का गठन किया गया है, जो बहुत जल्द पुराने लखनऊ को जाम और अतिक्रमण से मुक्त कराएगी.

राजधानी लखनऊ में बढ़ते अतिक्रमण को लेकर तमाम प्रयास पहले भी किए जाते रहे हैं, लेकिन परिणाम में कुछ ज्यादा बदलाव नहीं आया. नया शहर हो या पुराना हर तरफ यही समस्या है. यह तो समय ही बताएगा कि नए जिलाधिकारी के प्रयास क्या रंग लाते हैं.

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