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डिप्टी सीएम के छापे में खुली पोल, सरकारी वेयरहाउस में एक्सपायर हुईं 16.40 करोड़ की दवाएं - Deputy CM Brajesh Pathak

स्वास्थ विभाग के अफसरों की लापरवाही का एक और मामला उजागर हुआ है. एक ओर अस्पतालों में दवाओं का संकट बरकरार है तो वहीं दूसरी ओर सरकारी वेयर हाउस में 16.40 करोड़ की दवाएं एक्सपायर हो गईं. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इस लापरवाही को पकड़ा है.

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अस्पतालों में नहीं पहुंची दवाएं,  वेयरहाउस में 16 करोड़ से ज्यादा कीमत की एक्सपायर

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Published : May 20, 2022, 7:16 PM IST

लखनऊ : स्वास्थ विभाग में अफसरों की लापरवाही का एक और मामला उजागर हुआ है. एक ओर सरकारी अस्पतालों में दवाएं न होने से मरीज महंगी दवाएं खरीदने को मजबूर हैं तो वहीं दूसरी ओर सरकारी वेयर हाउस में रखी करोड़ों की दवाएं एक्सपायर हो जा रहीं हैं. इन्हें सरकारी अस्पतालों को भेजा ही नहीं जा रहा है. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने यह लापरवाही पकड़ी है.

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक शुक्रवार दोपहर डेढ़ बजे के करीब लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित वेयर हाउस पहुंचे. यहां पर यूपी मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन दवाएं खरीदकर स्टोर करता है. इसके बाद वेयरहाउस से दवाएं प्रदेश भर के सराकरी अस्पतालों को भेजी जाती हैं. कॉरपोरेशन के अफसर साल भर धड़ाधड़ महंगी दवाएं, इंजेक्शन, पीपीई किट व सर्जिकल सामान खरीदते रहे मगर इन्हें अस्पतालों को नहीं भेजा गया. इसके चलते कई अस्पतालों में दवाओं का संकट बना रहा. वेयरहाउस में रखी दवाएं एक्सपायर होती रहीं. शुक्रवार को डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के निरीक्षण में यह खुलासा हुआ कि यहां रखीं 16 करोड़, 40 लाख, 33 हजार, 33 रुपये की दवाएं एक्सपायर हो गईं.

यह बोले डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक.

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के साथ विशेष सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य भी छापे में शामिल रहे. एक्सपायर दवाओं को देखकर डिप्टी सीएम सकते में आ गए. स्टाफ को फटकार लगाई. साथ ही इसकी वजह पूछी. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक एक्सपायर दवाओं को लेकर खासे नाराज हैं. वेयर हाउस के अफसरों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है.

पूछा गया है कि आखिर दवाओं की उपलब्धता के बावजूद और दवाएं क्यों खरीदी गईं? खरीदी गई दवाओं की आपूर्ति सरकारी अस्पताल तक क्यों सुनिश्चित नहीं की गई? दवाओं की खपत नहीं थी तो कंपनियों को लौटाया क्यों नहीं गया? अफसरों से इनके जवाब मांगे गए हैं. इस बारे में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का कहना है कि पूरे मामले की जांच के लिए चिकित्सा विभाग को आदेश दिया गया है. तीन दिन में इसकी रिपोर्ट मांगी है, जो भी लापरवाह होगा कार्रवाई की जाएगी.



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