लखनऊः भारत देश कृषि प्रधान देश है. पूरे देश में विभिन्न तरह की खेती होती है. हर क्षेत्र में भूमि भी अपना स्वरूप बदलती है. इस तरह विभिन्न प्रजातियों की भूमि देश में मौजूद है. उसी के हिसाब से किसान फसलों का उत्पादन करता है, लेकिन हमारे देश में नदियों के किनारे की भूमि किसान के लिए फायदे का सौदा कभी नहीं रही है. यह कहना है सीएसआईआर-सीमैप के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेश वर्मा का. उन्होंने बताया कि ऐसे किसानों को फायदा दिलाने के लिए नमामि गंगे मिशन के साथ मिलकर सीएसआईआर-सीमैप ने प्रदेश के 12 जनपदों में गंगा नदी के किनारे की करीब 2 लाख हेक्टेयर जमीन का चयन किया है. इस जमीन पर औषधीय और सुगंधित पौधों का रोपण कर किसानों की आय दोगुनी करने की योजना है.
नहीं है जोखिम
डॉ. राजेश वर्मा के अनुसार इस खेती में किसान को किसी भी तरह का जोखिम नहीं है. बाढ़, पानी, सूखा हर परिस्थिति में वैज्ञानिकों के द्वारा चयनित इन औषधीय और सुगंधित पौधों को रोपित किया जा सकता है.
जनपद जो गंगा नदी के किनारे हैं
कानपुर, उन्नाव, बलिया, प्रतापगढ़, फतेहपुर, भदोही, बनारस, गाजीपुर, प्रयागराज सहित तमाम कई और जनपद भी हैं. इन सभी जनपदों की गंगा किनारे की भूमि पर सीएसआईआर सीमेप के वैज्ञानिकों ने किसान की आमदनी बढ़ाने के लिए यह प्रयास किया है.
तटीय क्षेत्र में लगा सकते हैं यह पौधे
सीएसआईआर सीमेप के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने गंगा के किनारे कि करीब 2 लाख हेक्टेयर जमीन में ग्रीन कॉरिडोर बनाने के साथ साथ किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए औषधीय और सुगंध पौधों का चयन किया है. इसमें लेमन ग्रास, तुलसी, खस, हल्दी, अश्वगंधा, पामरोजा, सतावर, कालमेघ, भूई आंवला सहित तमाम प्रजाति वैज्ञानिकों ने चयनित की हैं. जिससे किसान लाभ उठा सकता है.
कम लागत और जोखिम बिल्कुल नहीं
सीएसआईआर के द्वारा चयनित इन पौधों के उत्पादन में बहुत कम लागत आती है. बाढ़, सूखा, पानी या फिर जानवरों का भी कोई डर नहीं है. इसी के साथ कीटनाशक भी इन फसलों में नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं.