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डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान के मेधावियों ने कहा-सपनों को लगे पंख, पूरे हुए सपने - ETV Bharat Convocation

डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के दीक्षांत समारोह (Convocation News) के दौरान राज्यपाल ने 2018 बैच के कुल 21 छात्रों को 29 गोल्ड मेडल प्रदान किए. इस दौरान मेधावियों ने अपनी पढ़ाई और जीवन के संघर्ष के अनुभव ईटीवी भारत से साझा किए. देखें विस्तृत खबर...

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 29, 2023, 7:39 PM IST

Updated : Dec 29, 2023, 8:27 PM IST

लखनऊ :डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (Dr. Ram Manohar Lohia Institute of Medical Sciences Lucknow) का शुक्रवार को पहला दीक्षांत दिवस समारोह (Convocation News) इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित हुआ. इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के राज्यपाल आनंदीबेन पटेल शामिल हुईं. इस दौरान राज्यपाल ने 2018 बैच के कुल 21 छात्रों को 29 गोल्ड मेडल प्रदान किए. पदक पाने वालों में नौ छात्राएं भी शामिल थींय अन्य 20 पदकों पर 12 छात्रों का कब्जा रहा. इसके अलावा परास्नातक की 60 उपाधि दी गईं. इनमें 21 छात्राएं शामिल रहीं. उपाधियों में 16 एमडी और एमसीएच की रहे और एमडी की 30 और पीडीसीसी डिग्रियां 14 रहीं.

डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान के मेधावियों से बातचीत.
पीजी पूरा करके करेंगे शोध :बरेली की रहने वाली सुमेधा गुप्ता को यूनिवर्सिटी में सबसे अधिक नंबर पाने के लिए चांसलर मेडल प्राप्त हुआ है. सुमेधा 2019 बैच की स्टूडेंट हैं. सम्मान पाने के दौरान सुमेधा के पिता दिनेश चंद्र गुप्ता (सरकारी नौकरी से रिटायर) और मां अर्चना गुप्ता (बरेली के रुहेल खंड यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर) मौजूद रहीं. सुमेधा अपने माता-पिता की अकेली संतान हैं. सुमेधा ने कहा कि भविष्य में वह पीजी करके शोध करेंगी. चांसलर सम्मान पाकर बहुत अच्छा लग रहा है. जूनियर्स को यही संदेश देंगे कि ईमानदारी के साथ जितना पढ़ने की इच्छा करे, उतना ही पढ़ें जबरदस्ती की पढ़ाई कभी न करें.


बचपन से ही मेहनती है सुमेधा : सुमेधा की मां अर्चना गुप्ता ने कहा कि सुमेधा बचपन से ही पढ़ाई में तेज और मेहनती है. इसका दिमाग बहुत शार्प है, हमारी एक ही संतान है, हमने उसी को बेहतर इंसान बनाने में पूरा समय दिया है. अच्छी शिक्षा दीक्षा दी जिसका फल आज हमें प्राप्त हो रहा है. पिता दिनेश चंद्र गुप्ता ने कहा कि आज का दिन हमारे लिए बहुत स्पेशल है. बेटी को कुलपति मेडल प्राप्त हुआ है. इस पल मैं बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं.



शौर्य को मिले सबसे अधिक मेडल : मुरादाबाद जिले के रहने वाले शोर्य गुप्ता को पांच गोल्ड मेडल प्राप्त हुए हैं. वह 2018 बैच के स्टूडेंट हैं और सर्वाधिक मेडल पाने वाले छात्र भी हैं. शौर्य के पिता मोहित गुप्ता पेशे से एक वकील और मां वर्षा गुप्ता गृहणी हैं. शौर्य तीन भाई हैं. शौर्य के बड़े भाई कौशल गुप्ता ने आईआईएम शिलांग से एमबीए किया है. दूसरे भाई ध्रुव गुप्ता ने आईआईटी बीएचयू से पढ़ाई की है. दोनों ही भाई वर्तमान में अच्छी कंपनी में कार्यरत हैं. अपने घर में शौर्य सबसे छोटे हैं. शौर्य ने कहा कि वह डॉक्टरी पेशा में हमेशा से ही आना चाहते थे. बचपन से ही उन्हें लोगों की सेवा करना पसंद था. चिकित्सा क्षेत्र से अच्छा और कोई क्षेत्र नहीं हो सकता. शौर्य के पिता मोहित गुप्ता ने कहा कि आज इस पल बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं. बेटे को पांच-पांच गोल्ड मेडल प्राप्त हुए हैं. हर कोई बेटे की तारीफ कर रहा है. इससे बढ़कर मेरे लिए खुशी की कोई और बात है ही नहीं.


40 किलोमीटर तक नहीं था अस्पताल : बहराइच के कारीकोट के रहने वाले हरमन सिंह को दो गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया है. वह वर्ष 2020 बैच के स्टूडेंट हैं. पिता कुलवीर सिंह किसानी से ताल्लुक रखते है और मां रूपेंद्र कौर गृहणी हैं. हरमन ने बताया कि बचपन से ही उन्हें एक ऐसा माहौल देखने को मिला जहां पर चिकित्सा व्यवस्था बेहतर नहीं थी. उनके गांव में जब भी कोई बीमार होता था तो उन्हें दिखाने के लिए बहराइच शहर जाना होता था. 40 किलोमीटर तक कोई भी अस्पताल, सामुदायिक या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं था. एक ऐसी जिंदगी जी है, जहां पर चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल थी. यहां तक कि गांव में स्वास्थ केंद्र तो बने थे. लेकिन, कोई भी डॉक्टर आना पसंद नहीं करते थे और न ही स्वास्थ्य केंद्र पर बैठते थे. उसी से मैंने यह सीखा कि कुछ बेहतर किया जाए और मैं डॉक्टरी क्षेत्र में आया हूं. मेरी पूरी कोशिश रहेगी कि मैं जहां भी रहूं वहां पर मरीजों की सेवा करूं.


सर्जरी में जाना है आगे :उत्तराखंड के शिलांग के रहने वाले भावेश नाथ 2018 बैच के स्टूडेंट हैं. भावेश को दो गोल्ड मेडल मिले हैं. एक एनाटोमी का है और एक ओवरऑल के लिए मिला है. भावेश ने बताया कि पिता सरकारी अध्यापक और मां गृहणी हैं. हमेशा से चिकित्सक बनने के लिए सोचा था. इस दिशा में काम किया था. 12वीं के बाद पढ़ाई में जुट गया. फिर एमबीबीएस में दाखिला मिल गया. आज यह सम्मान पाकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. कहीं न कहीं मेरी मेहनत फल मिला है. जूनियर को यही संदेश दूंगा कि सच्चे मन से पढ़ाई करें. खेलकूद या इधर-उधर की चीज तो होती रहती हैं, लेकिन अपनी पढ़ाई को भी महत्व दें. मैं भविष्य में सर्जरी क्षेत्र में आगे जाना चाहता हूं.



परिवार में बना पहला डॉक्टर :बनारस के रहने वाले डॉ. विक्रम सिंह को मास्टर ऑफ चिरुर्जिया (एमसीएच) यूरोलॉजी में गोल्ड मेडल प्राप्त हुआ है. विक्रम तीन भाई बहन हैं. पिता मनोज कुमार सिंह बिजनेस करते हैं और मां मालती सिंह गृहणी हैं. डॉ. विक्रम ने बताया कि अपने पूरे परिवार में मैं इकलौता ऐसा लड़का हूं, जिसने डॉक्टरी क्षेत्र को चुना और आज डॉक्टर बन गया हूं. जब मैं छोटा था उस समय मैंने डॉक्टर बनने का सोचा था. उस सपने को आज मैं जी रहा हूं. वर्तमान में इस समय मैं लोहिया से ही पढ़ाई की और उसके बाद लोहिया में इंटर्न हूं. भविष्य के लिए मैंने सोचा है कि दो साल का सर्विस बॉन्ड करेंगे. फिर सरकारी अस्पताल में अपनी सेवा देंगे.


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Last Updated : Dec 29, 2023, 8:27 PM IST

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