लखनऊ : फिजियोलॉजी विज्ञान ऐसी विधा है, जिसमें सभी चिकित्सा विभाग सम्मिलित हैं. साफ शब्दों में कहें तो यह चिकित्सा की जननी है. किसी भी मरीज को कुछ होता है तो सबसे पहले वह फिजियोलॉजी विभाग में ही आता है यहां से जब डायग्नोस होता है कि मरीज को क्या दिक्कत हो रही है. उसके हिसाब से बीमारी को डायग्नोस किया जाता है. फिर मरीज को दूसरे विभाग में समुचित इलाज के लिए भेजा जाता है. फिजियोलॉजी विधा में शरीर के हर अंग के बारे में जानकारी होती है. यह बातें किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के फिजियोलॉजी विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रो. नरसिंह वर्मा ने राष्ट्रीय सम्मेलन के ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहीं.
केजीएमयू फिजियोलॉजी की डॉ. श्रद्धा सिंह ने बताया कि न्यूरो फिजियोलॉजी एक अलग विषय है. इसमें ऐसे बच्चे जो सुनने या बोलने या कुछ भी फिजिकल एक्टिविटीज करने में सक्षम नहीं है उनका इलाज होता है. बच्चों में क्या दिक्कत परेशानी है. यह पूरी जांच के बाद ही पता चलता हैं. उसके हिसाब से सही डायग्नोसिस के बाद उसका इलाज शुरू किया जाता है. अगर कोई बच्चा सुनने में सक्षम नहीं है तो मशीन के द्वारा चेक किया जाता है कि कहां क्या दिक्कत नसों में आ रही है. जिसकी वजह से वह सुन नहीं पा रहा है. इसके अलावा किसी तरह से उसे समस्या को दूर किया जा सकता है उसकी पूरी प्लानिंग की जाती है और उसके बाद बच्चों का ट्रीटमेंट शुरू किया जाता है. इसके (एनसीपी) नर्व कंजंक्शन वेलोसिटी परीक्षण चिकित्सकों को मांसपेशियों में ऐंठन, चरम कमजोरी, रीढ़ से संबंधित मुद्दों का कारण निर्धारित करने की अनुमति देने के लिए किया जाता है जो सुन्नता और झुनझुनी संवेदनाओं और अन्य अपंग स्वास्थ्य स्थितियों का कारण बनता है.