उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

क्या आप जानते हैं कंगारू केयर थेरेपी के फायदे, जानिए क्यों पड़ा ऐसा नाम

प्रीमेच्योर शिशुओं की देखभाल काफी जटिल होती है. ऐसे में विशेषज्ञ कुछ खास तकनीकि के माध्यम से शिशुओं के पालन पोषण की हिदायत देते हैं. ऐसी ही एक तकनीकि है कंगारू केयर थेरेपी (Kangaroo Care Therapy). देखिए विस्तृत खबर.

Etv Bharat
Etv Bharat

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 29, 2023, 3:35 PM IST

लखनऊ : कंगारू केयर थेरेपी (Kangaroo Care Therapy) देखभाल एक तकनीक है जो खास करके नवजात या फिर आमतौर पर अपरिपक्व (प्रीमेच्योर) शिशुओं के लिए होता है. इस तकनीक में शिशु को, अपनी मां के साथ त्वचा-से-त्वचा लगा कर रखा जाता है. अपरिपक्व शिशुओं के लिए कंगारू केयर थेरेपी के अनुसार देखभाल प्रति दिन कुछ घंटों के लिए प्रतिबंधित किया जा सकता है, लेकिन कंगारू केयर थेरेपी का बच्चे को बहुत फायदा पहुंचता है. विशेषज्ञ डॉक्टर्स भी बच्चों को कंगारू थैरेपी के लिए अभिभावकों को सुझाव देते हैं.

प्रीमेच्योर शिशुओं की देखभाल.

माताओं की दी जाती है जानकारी :झलकारी बाई महिला अस्पताल की सीएमएस व वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. निवेदिता कर ने बताया कि रोजाना अस्पताल में गरीब ऑन 40 से अधिक गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जाता है. ऐसे में बहुत से बच्चे प्रीमेच्योर पैदा होते हैं. जिन्हें डॉक्टर के ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है. इसके अलावा जो भी महिला अस्पताल में प्रसव के लिए आती है. उन्हें कंगारू थेरेपी के बारे में भी बताया जाता है. कंगारू थेरेपी वह प्रक्रिया है जिसके जरिए बच्चों का बड़े से बड़ा रोग भी निरोग हो जाता है. उन्होंने बताया कि कई बार ऐसा होता है की मां अपने बच्चों को सीने से लगाकर रखती है. हालांकि, उन्हें यह नहीं मालूम होता है कि इसे क्या कहते हैं, लेकिन जब उन्हें कंगारू थेरेपी की पूरी प्रक्रिया बताई जाती है तो वह बताती है कि वह इस तरह से अपने बच्चों को रखती हैं बस केवल नाम नहीं जानती थी.

वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. निवेदिता कर.


कई बीमारियों से मिलती है निजात :डॉ. निवेदिता कर ने बताया कि रोजाना अस्पताल में कई बार ऐसे कैसे आते हैं जिसमें बच्चा प्रीमेच्योर पैदा हो जाता है इस स्थिति में बच्चों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध हो सके इसके लिए क्वीन मैरिज अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. अगर ग्रामीण क्षेत्र में कभी कोई बच्चा कमजोर पैदा होता है या समय से पहले पैदा हो जाता है तो जब तक उसे जिला अस्पताल रेफर किया जाता है तब तक मां अपने बच्चों को कंगारू थेरेपी देकर कुछ समय तक के लिए राहत की सांस दे सकती है. इस थेरेपी का मां और बच्चे के बीच का गहरा संबंध है मां जब प्यार से अपने बच्चों को सीने से लगाकर सुलाती है या सीने से लगाकर रखती है तो बच्चे को तमाम बीमारी से छुटकारा मिलता है. जिसमें सर्दी, खांसी, बुखार, जुखाम के अलावा अन्य बीमारी भी शामिल है.

प्रीमेच्योर शिशुओं की देखभाल.

जागरूक कार्यक्रम होने चाहिए : अवंती बाई महिला अस्पताल के पीडियाट्रिशियन डॉ. सलमान ने बताया कि कंगारू केयर थेरेपी की थेरेपी है. जिससे बच्चे को इनक्यूबेटर या वार्मर में स्थिर करने के लिए किया जाता है. महिलाओं को तमाम जानकारी तो दी जाती है, लेकिन कंगारू थेरेपी कब दी जाती है. इस विषय पर जागरूक कार्यक्रम होने चाहिए. अस्पताल प्रशासन की ओर से अवंती बाई महिला अस्पताल में इस तरह के कार्यक्रम होते रहते हैं. कंगारू केयर थेरेपी उस समय शिशु को देनी चाहिए जब तक कि कमजोर नवजात शिशु ताकत से स्तनपान करना शुरू न कर दे और उसका वज़न पर्याप्त क्षमता से बढ़ने न लगे, तब तक उसे कंगारू मदर केयर की जरूरत होती है. इस थेरेपी का फायदा शिशु को बहुत होता है. इसके फायदे से वह स्तनपान कर लेता है. इससे बच्चे के शारीरिक और मानसिक सेहत का पूर्ण विकास होता है. साथ ही विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बच्चा सुरक्षित रहता है.







यह भी पढ़ें : Marma Therapy: जो लोग दर्द से हैं परेशान, हरिद्वार में मर्म चिकित्सा से मिल रहा आराम

World Hypertension Day 2023: भारत में 45% लोग BP के शिकार, ये है उत्तराखंड का आंकड़ा

ABOUT THE AUTHOR

...view details