लखनऊ : कंगारू केयर थेरेपी (Kangaroo Care Therapy) देखभाल एक तकनीक है जो खास करके नवजात या फिर आमतौर पर अपरिपक्व (प्रीमेच्योर) शिशुओं के लिए होता है. इस तकनीक में शिशु को, अपनी मां के साथ त्वचा-से-त्वचा लगा कर रखा जाता है. अपरिपक्व शिशुओं के लिए कंगारू केयर थेरेपी के अनुसार देखभाल प्रति दिन कुछ घंटों के लिए प्रतिबंधित किया जा सकता है, लेकिन कंगारू केयर थेरेपी का बच्चे को बहुत फायदा पहुंचता है. विशेषज्ञ डॉक्टर्स भी बच्चों को कंगारू थैरेपी के लिए अभिभावकों को सुझाव देते हैं.
माताओं की दी जाती है जानकारी :झलकारी बाई महिला अस्पताल की सीएमएस व वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. निवेदिता कर ने बताया कि रोजाना अस्पताल में गरीब ऑन 40 से अधिक गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जाता है. ऐसे में बहुत से बच्चे प्रीमेच्योर पैदा होते हैं. जिन्हें डॉक्टर के ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है. इसके अलावा जो भी महिला अस्पताल में प्रसव के लिए आती है. उन्हें कंगारू थेरेपी के बारे में भी बताया जाता है. कंगारू थेरेपी वह प्रक्रिया है जिसके जरिए बच्चों का बड़े से बड़ा रोग भी निरोग हो जाता है. उन्होंने बताया कि कई बार ऐसा होता है की मां अपने बच्चों को सीने से लगाकर रखती है. हालांकि, उन्हें यह नहीं मालूम होता है कि इसे क्या कहते हैं, लेकिन जब उन्हें कंगारू थेरेपी की पूरी प्रक्रिया बताई जाती है तो वह बताती है कि वह इस तरह से अपने बच्चों को रखती हैं बस केवल नाम नहीं जानती थी.
कई बीमारियों से मिलती है निजात :डॉ. निवेदिता कर ने बताया कि रोजाना अस्पताल में कई बार ऐसे कैसे आते हैं जिसमें बच्चा प्रीमेच्योर पैदा हो जाता है इस स्थिति में बच्चों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध हो सके इसके लिए क्वीन मैरिज अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. अगर ग्रामीण क्षेत्र में कभी कोई बच्चा कमजोर पैदा होता है या समय से पहले पैदा हो जाता है तो जब तक उसे जिला अस्पताल रेफर किया जाता है तब तक मां अपने बच्चों को कंगारू थेरेपी देकर कुछ समय तक के लिए राहत की सांस दे सकती है. इस थेरेपी का मां और बच्चे के बीच का गहरा संबंध है मां जब प्यार से अपने बच्चों को सीने से लगाकर सुलाती है या सीने से लगाकर रखती है तो बच्चे को तमाम बीमारी से छुटकारा मिलता है. जिसमें सर्दी, खांसी, बुखार, जुखाम के अलावा अन्य बीमारी भी शामिल है.