लखनऊ : हाल ही में ठाकुरगंज क्षेत्र में ऑक्सीजन सिलिंडर के ब्लास्ट होने से एक मजदूर की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद लोगों के ज़हन में ऑक्सीजन सिलिंडर को लेकर दहशत हो गई हैं. विस्फोट इतना भयानक था कि सिलिंडर उतार रहे मजदूर के शरीर के कई अंग भंग हो गए. साथ ही धमाके से करीब 200 मीटर तक की परिधि में जमीन थर्रा गई. घटना के बाद हर कोई यह जानना चाहता था कि आखिरकार ऑक्सीजन सिलिंडर में इतना जबरदस्त विस्फोट कैसे हो गया. हालांकि बताया जा रहा है कि जिस सिलिंडर में विस्फोट हुआ है उसकी अवधि समाप्त हो चुकी थी. यानी सिलिंडर एक्सपायर हो चुका था. इसके बावजूद रीफिल करके बिक्री हो रही थी.
सिविल अस्पताल की सीएमएस डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक ऑक्सीजन सिलिंडर में जाहिर सी बात है कि ऑक्सीजन ही होगी. यह मरीजों के लिए होती है. वो भी ऐसे मरीज जिन्हें सांस लेने में समस्या होती है या फिर मरीज वेंटिलेटर पर होता है तब उसे ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. ऑक्सीजन सिलिंडर का महत्व मरीज की जिंदगी से जुड़ा हुआ है. कभी-कभी यही ऑक्सीजन सिलिंडर मरीज को जिंदगी नहीं, बल्कि उसके किसी सगे संबंधी या कर्मचारी की मौत का कारण बन जाता है. ऑक्सीजन सिलिंडर को उतारते और रखते समय सावधानी जरूरी होती है. हाथ से अगर छूट जाए या जमीन पर तेजी से गिर गया तो विस्फोट होने का खतरा रहता है. कभी बार ऑक्सीजन तेजी से खोलने पर भी हादसा हो जाता है.
डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सिविल अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट है. इसलिए यहां ऑक्सीजन सिलिंडर की आवश्यकता नहीं पड़ती है, लेकिन इमरजेंसी में कभी-कभी मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलिंडर की आवश्यकता पड़ती है. हालांकि यहां पूरी निगरानी में ऑक्सीजन सिलिंडर लाया और मरीज के बेड़ तक पहुंचाया जाता है. इसमें जो ट्रेंड स्टाफ कर्मचारी होते हैं, उन्हीं को यह ड्यूटी सौंपी जाती है कि वह अच्छे से ऑक्सीजन सिलिंडर को लगवाएं ताकि कोई अनहोनी न हो.