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गेटेड कॉलोनी और अपार्टमेंट में इस तरह लड़ी गई कोरोना से जंग, जानकर कह उठेंगे वाह

राजधानी लखनऊ में जब अस्पतालों में बेड की मारामारी थी और ऑक्सीजन सिलेंडर मिलना मुश्किल हो रहा था, ऐसे समय में गेटेड कॉलोनी और अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों ने अपने स्तर पर मरीजों का इलाज अच्छे ढंग से किया. उन्होंने इसके लिए जो तरीके अपनाएं, उसे जानकर आप भी कह उठेंगे- वाह.

gated colony and apartments prevent corona measures
गेटेड कॉलोनी और अपार्टमेंट में कोरोना बचाव के उपाय.

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Published : May 28, 2021, 11:02 AM IST

लखनऊ:कोविड-19 संकट काल में राजधानी लखनऊ की गेटेड कॉलोनी और अपार्टमेंट के रहने वाले लोगों ने अपने स्तर पर बचाव के तमाम तरह के उपाय किए, जिससे संक्रमण के प्रसार को कम किया जा सके. कॉलोनियों में और अपार्टमेंट के अंदर हेल्पडेस्क बनाकर लोगों के टेंपरेचर की जांच करने और बाहर से आने वाले व्यक्तियों के सैनिटाइजेशन का भी काम किया गया. यही नहीं, कुछ अपार्टमेंट के अंदर बकायदा क्लब आदि की जगहों पर कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड बनाए गए और कॉलोनियों व अपार्टमेंट के रहने वाले डॉक्टरों की मदद से उनका इलाज भी किया गया.

वीडियो रिपोर्ट...

अपार्टमेंट में बनाया कोविड केयर सेंटर
राजधानी लखनऊ के गोमती नगर विस्तार स्थित एमआई अपार्टमेंट में सोसायटी के लोगों ने कोविड-19 सेंटर बनाया और यहां पर बेड लगाकर अपार्टमेंट के ही रहने वाले जिन लोगों को संक्रमण हुआ, उनका इलाज किया गया. यहां पर बकायदा डॉक्टर की व्यवस्था थी. ऑक्सीजन सिलेंडर भी थे. इसके साथ ही तमाम अन्य तरह के उपाय करते हुए लोगों का इलाज किया गया. करीब 70 से अधिक कोविड पॉजिटिव मरीजों का यहां पर इलाज हुआ, जो जल्द ही ठीक हो गए.

अपने स्तर से किया प्रयास
अपार्टमेंट के रहने वाले अंशु मित्र ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि हमने अपार्टमेंट के लोगों के इलाज के लिए खुद के खर्चे से कोविड-19 केयर सेंटर बनाया था और यहीं पर अपार्टमेंट के ही रहने वाले डॉक्टरों की मदद से उनका इलाज किया गया. यह स्थिति तब हुई जब अस्पतालों में बेड नहीं थे.

कोविड मरीजों के लिए भोजन की व्यवस्था
अपार्टमेंट के अंदर जो कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड बनाए जाते थे और उनमें भर्ती मरीजों के भोजन आदि की चिंता भी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) के सदस्यों की तरफ से लगातार की जाती रही है. बीमारी के अनुसार डॉक्टरों द्वारा बताया गया भोजन बनता था और लोगों को पहुंचाया जाता था, ताकि संक्रमण से लड़ते समय इम्युनिटी आदि का भी ध्यान रखा जा सके. डॉक्टरों द्वारा बताई गई डाइट के अनुसार ही भोजन की व्यवस्था होती थी.

कॉलोनियों में थर्मल स्क्रीनिंग से लेकर सैनिटाइजेशन तक की व्यवस्था
गेटेड कॉलोनी में और अपार्टमेंट्स में हेल्पडेस्क बनाई गई और उसके माध्यम से जो भी लोग बाहर से आते थे, उनका बकायदा टेंपरेचर नापा जाता था. उन्हें सैनिटाइज किया जाता था और उसके बाद ही अंदर एंट्री मिलती थी. अगर किसी का टेंपरेचर अधिक रहता था तो उन लोगों को कुछ देर इंतजार करने को कहा जाता और जब टेंपरेचर सामान हो जाता तो अंदर एंट्री दी जाती थी. इसके अलावा सैनिटाइजेशन भी किया जा रहा है.

सैनिटाइजेशन से किया बचाव
गेटेड कॉलोनी और अपार्टमेंट के अंदर ओपन एरिया अपार्टमेंट की लिफ्ट व सीढ़ियों सहित अंदर जो क्लब बने हुए हैं या अन्य जो खेलने कूदने के मैदान थे, वहां पर बेहतर ढंग से सैनिटाइजेशन का काम लगातार आरडब्लूए की तरफ से कराया जा रहा है, जिससे संक्रमण को फैलने से रोका जा सके. अपार्टमेंट और कॉलोनियों के स्तर पर यह काम अपने स्तर से कराए गए तो लखनऊ नगर निगम प्रशासन व लखनऊ विकास प्राधिकरण की टीम के स्तर पर भी सैनिटाइजेशन आदि के काम होने लगे, जो लगातार चल रहा है.

गाड़ियों को भी किया जाता है सैनिटाइज
राजधानी लखनऊ के एक अपार्टमेंट में गार्ड की नौकरी करने वाले शिवा मिश्रा कहते हैं कि अपार्टमेंट के बाहर एंट्री गेट पर कोविड-19 हेल्प डेस्क बनाई गई है. यहां पर बाकायदा बाहर से आने वाले लोगों का टेंपरेचर लिया जाता है. उन्हें सैनिटाइज किया जाता है. इसके बाद ही अंदर भेजा जाता है. गाड़ी आदि को भी सैनिटाइज किया जाता है जिससे किसी प्रकार के संक्रमण का खतरा न हो. इसके अलावा अंदर भी ओपन एरिया सीढ़ियों और लिफ्ट पर सैनिटाइजेशन करने का काम आरडब्लूए की तरफ से कराया जाता है.

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लखनऊ जनकल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने बताया कि कोरोना महामारी से बचाव को लेकर जो गेटेड कॉलोनी व अपार्टमेंट के आरडब्लूए हैं, उनके द्वारा कोविड-19 हेल्पडेस्क बनाए गए. हम लगातार साफ-सफाई सैनिटाइजेशन का काम करा रहे हैं जिससे कोरोना संक्रमण का प्रसार बढ़ने से रोका जा सके. अपार्टमेंट के अंदर जो क्लब हैं, वहां पर बेड लगाकर आइसोलेशन वार्ड बनाए गए और ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की गई. अपार्टमेंट या कॉलोनियों में रहने वाले डॉक्टरों की मदद से लगातार लोगों का इलाज करने का काम किया जा रहा है.

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