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Regulatory Commission के सामने पेश हुए मध्यांचल के एमडी, वसूली पर दी सफाई

मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक भवानी सिंह खंगारौत नियामक आयोग (Regulatory Commission) के सामने पेश हुए. उन्होंने कास्ट डाटा बुक के विपरीत जाकर बिजली कनेक्शन के लिए उपभोक्ताओं से वसूली गई अधिक धनराशि को वापस किए जाने का विवरण पेश किया.

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Published : Feb 15, 2023, 8:45 AM IST

लखनऊ : कॉस्ट डाटाबुक के विपरीत जाकर प्रदेश के नए विद्युत उपभोक्ताओं से उपभोक्ता सामग्री की दरों में की गई मनमानी वसूली पर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक भवानी सिंह खंगारौत व्यक्तिगत तौर पर विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष के सामने पेश हुए. उन्होंने आयोग को जानकारी दी कि अब तक कितने करोड़ रुपए उपभोक्ताओं के मध्यांचल की तरफ से वापस किए जा चुके हैं.

मध्यांचल विद्युत वितरण निगम कंपनी के अंतर्गत अधिक वसूली के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य बीके श्रीवास्तव की उपस्थिति में सुनवाई हुई. मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक भवानी सिंह खंगारोत ने कोर्ट रूम में व्यक्तिगत रूप से पेश होकर आयोग के सामने यह शपथ पत्र सौंपा कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत अभी तक कुल 2203 विद्युत उपभोक्ताओं से जो कुल दो करोड़ 72 लाख 33 हजार कॉस्ट डाटा बुक के विपरीत अधिक वसूली की गई थी, उसकी वापसी कर दी गई है. मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने अपने शपथ पत्र में कहा कि 'ईआरपी के माध्यम से लगभग एक करोड़ 29 लाख एक हजार की वापसी सीधे उपभोक्ताओं के बैंक खाते में कर दी गई है. एक करोड़ 43 लाख 32 हजार की वापसी उपभोक्ताओं के बिल में समायोजित की गई है. प्रबंध निदेशक ने अपने शपथ पत्र में यह भी कहा कि आगे जो भी अधिक वसूली होगी उसे पता चलते ही वापस कर दिया जाएगा. सभी बिजली कंपनियों में की गई करोड़ों की अधिक वसूली के याचिकाकर्ता उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कोर्ट के सामने अपनी बात रखी.

कहा जिस प्रकार से बिजली कंपनियों ने प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं और किसानों से कानून के विपरीत जाकर अधिक वसूली की यह बहुत ही गंभीर मामला है. इस पर नजीर बने. ऐसी कार्रवाई आयोग को करना पडे़गा. आयोग चाहे टैरिफ जारी करे या कॉस्ट डाटा बुक बनाए. सही मायने में बिजली कंपनियां आयोग के ही कानून को लागू कर रही हैं या अपना मनमाना कानून लागू कर रही हैं? इसे देखने का नैतिक दायित्व विद्युत नियामक आयोग का है. यह सवाल उपभोक्ता परिषद इसलिए उठा रहा है क्योंकि प्रदेश की बिजली कंपनियों में ज्यादातर फील्ड में कार्यरत विद्युत अभियंताओं की उपभोक्ताओं के प्रति नाइंसाफी साफ झलकती है. विद्युत नियामक आयोग को आगे यह भी देखना होगा कि जो सभी बिजली कंपनियों में करोड़ों की जीएसटी के मद में अधिक वसूली की गई है उसे भी बिजली कंपनियां वापस करें. साथ ही कुछ खंडों का सैंपल जांच करना पडे़गा जिससे यह सच्चाई सामने आ सके कि बिजली कंपनियां जो शपथ पत्र आयोग के सामने दे रही हैं वह सही है या नहीं. क्योंकि बिजली कंपनियां जब याचिका की सुनवाई शुरू हुई थी तो शपथ पत्र दिया था कि कहीं भी कोई अधिक वसूली नहीं हुई है. जब उपभोक्ता परिषद ने साक्ष्यों के साथ पोल खोल दी तो सभी अधिक वसूली के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. शपथ पत्र बदल रहे हैं. उपभोक्ता परिषद ने एकमात्र निजी घराने की कंपनी नोएडा पावर कंपनी में उपभोक्ताओं से कानून के तहत वसूली हो रही है या नहीं की सैंपल चेकिंग की भी मांग की.



विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह ने कोर्ट में कहा कि 'बिजली कंपनियों की तरफ से कार्रवाई पूरी होने के बाद अगर किसी भी विद्युत उपभोक्ता का कॉस्ट डाटा बुक के विपरीत अधिक वसूली का मामला सामने आएगा तो ऐसे मामलों में सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. उपभोक्ता परिषद अपने स्तर से भी इसकी छानबीन कर ले कि सभी उपभोक्ताओं को न्याय मिल गया है या नहीं.'

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