हैदराबाद: उत्तर प्रदेश में बसपा और कांग्रेस एक ही लाइन की सियासत कर रहे हैं. लेकिन दोनों के दावों में कुछ ऐसे फर्क हैं, जो दोनों को एक-दूसरे से पृथक करते हैं. एक ओर खिसकती सियासी जमीन को बचाने और आगामी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022)की तैयारियों में जुटी मायावती ने अपने एक बयान के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश की है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि बसपा के चुनाव जीतने पर वे ही मुख्यमंत्री बनेंगी. वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा की ओर से ऐसा कोई दावा या घोषणा नहीं की गई है, सिवाय अकेले चुनाव लड़ने के. सूबे में सियासी पार्टियों की मौजूदा हाल और पकड़ की स्थिति को जानने को सामने आए एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि मायावती और प्रियंका गांधी वाड्रा की वर्तमान सियासी स्थिति एक समान बनी हुई है.
यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर सामने आए ज्यादातर प्री पोल सर्वे यही बता रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ के दम पर भाजपा के सत्ता में वापसी की उम्मीद है. लेकिन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की सक्रियता और छोटी पार्टियों संग गठबंधन की गणित से भाजपा को चुनौती मिल रही है. यानी मुख्य रूप से मुकाबला सपा और भाजपा के बीच है. वहीं, बसपा और कांग्रेस क्रमशः तीसरे व चौथे स्थान पर रह सकते हैं. हालांकि, कई बार सर्वे गलत भी साबित हुए हैं और कई बार सवालों के घेरे में भी रहे हैं. ऐसे में सियासी पार्टियों के लिए ये देखना जरूरी हो जाता है कि फील्ड का फीडबैक क्या आ रहा है?
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सर्वे में भले ही योगी आदित्यनाथ सत्ता में वापसी करते दिख रहे हों, लेकिन जिस तरीके से भाजपा नेता अमित शाह यूपी विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी को तीन कृषि कानून वापस लेने पड़े हैं या यूपी भाजपा के बड़े नेताओं को भी चुनावी मैदान में उतारने की खबरें आ रही हैं. उससे यह नहीं लगता कि भाजपा को भी ऐसे सर्वे पर कोई भरोसा है.