हैदराबाद: यूपी में भले ही विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) को अभी वक्त हो. लेकिन सभी सियासी पार्टियां अपनी तैयारियों के साथ ही दांव-पेंच की गणित में लग गई हैं. सभी एक-दूसरे के वोट बैंक में सेंधमारी करने को जाति कार्ड को हथियार बनाए हुए हैं. ऐसे में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ गठबंधन कर पश्चिमी यूपी में जाट-मुस्लिम समीकरण को साधने का दांव खेला है. लेकिन, बसपा सुप्रीमो मायावती भी कहीं पीछे नहीं हैं. वे अखिलेश के दांव उल्टा उन्हीं पर चलने की कोशिश कर रही हैं. साथ ही यादव-चौधरी के सियासी कॉम्बीनेशन पर नजरें बनाए हुए हैं.
दरअसल, मायावती पश्चिम यूपी में जाट-मुस्लिम-दलित समीकरण पर फोकस कर रही हैं. इस बात के संकेत उन्होंने पहले ही दे दिए थे. वहीं, पश्चिम में जाट और मुस्लिमों को साधने के लिए मायावती ने ओबीसी, मुस्लिम और जाट समाज के मुख्य और वरिष्ठ नेताओं के साथ मीटिंग भी की. इसी बैठक में उन्होंने अनुसूचित वर्ग की आरक्षित 86 सीटों पर जाट और मुस्लिम वर्ग को जोड़ने के लिए चलाए जा रहे अभियान की समीक्षा भी की थी.
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इधर, सुरक्षित सीटों पर पार्टी जाट-मुस्लिम-दलित कॉम्बीनेशन के साथ चुनावी बाजी जीतने की कोशिश कर रही है. इसी को लेकर मायावती ने जाट और मुस्लिम नेताओं से कहा कि सुरक्षित सीटों पर अपने-अपने समाज के लोगों को पार्टी से जोड़ें. इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करने और समाज की छोटी-छोटी बैठकें लेने का मंत्र मायावती ने अपने इन दो वर्गों के नेताओं को दिया है.