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मायावती ने यूपी सरकार पर बोला हमला, कहा - कांग्रेसी कल्चर पर चल रही भाजपा

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Published : Jul 26, 2021, 12:21 PM IST

यूपी सरकार विधानसभा चुनाव से पहले शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ा सकती है. करीब चार साल से शिक्षा मित्रों का मानदेय नहीं बढ़ाया गया है. इसी को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि चुनाव आते ही फैसले करना कांग्रेसी कल्चर रहा है, अब भाजपा भी इसी कल्चर पर चल रही है. जनता इसका जवाब देगी.

मायावती ने यूपी सरकार पर बोला हमला
मायावती ने यूपी सरकार पर बोला हमला

लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाने की खबर को लेकर भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि कांग्रेसी कल्चर अब भाजपा भी चल रही है. जनता यह सब समझती है. उन्होंने कहा कि चुनाव आते ही फैसले करना कांग्रेसी कल्चर रहा है. वहीं अब भाजपा भी इसी कांग्रेसी कल्चर पर चल रही है. चुनाव में जनता इसका जवाब देगी.

मायावती ने ट्वीट कर सरकार पर बोला हमला
मायावती ने ट्वीट कर कहा हैं कि अगर यह खबर सही है कि यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले बढ़ सकता है शिक्षा मित्रों का मानदेय तो यह काफी विलम्ब से उठाया गया कदम है जो यह कार्य बहुत पहले हो जाना चाहिये था. जबकि चुनाव के नजदीक ऐसे फैसले करना कांग्रेसी कल्चर रहा है, जिसपर अब भाजपा भी चल रही है. जनता यह सब समझती है.

उन्होंने कहा कि जबकि बीएसपी की कार्यशैली ऐसी संकीर्ण चुनावी सोच से हमेशा अलग व पाक-साफ रही है. इसी कारण साल 2007 में सरकार बनते ही हमने अपरकास्ट की भर्ती पर लगी रोक को तुरन्त हटाया, जिससे फिर इस पूरे समाज को भरपूर लाभ हुआ और उन्हें यहां वर्षों बाद बड़ी संख्या में सरकारी नौकरी मिली.

करीब चार साल से शिक्षा मित्रों का नहीं बढ़ा मानदेय
बता दें कि यूपी सरकार विधानसभा चुनाव से पहले शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ा सकती है. बेसिक शिक्षा विभाग ने सरकार को 1.46 लाख शिक्षा मित्रों को दिए जा रहे मानदेय, सरकार पर वित्तीय भार समेत पूरा ब्यौरा दे दिया है. करीब चार साल से शिक्षा मित्रों का मानदेय नहीं बढ़ाया गया है. वर्तमान में उन्हें 10 हजार रुपये मानदेय मिलता है.

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भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2017 में शिक्षा मित्रों की समस्या को तीन माह में न्यायिक तरीकों से सुलझाने का आश्वासन दिया था. जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 1.36 लाख शिक्षा मित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन रद्द कर उन्हें पुन: शिक्षा मित्र बनाना पड़ा. हालांकि आंदोलन के बाद सरकार ने उनका मानदेय 3500 से बढ़ाकर 10 हजार रुपये महीने कर दिया था. जानकारों के मुताबिक चुनाव को देखते हुए शिक्षा मित्रों की नाराजगी दूर करने के लिए उनका मानदेय बढ़ाने पर फैसला हुआ है.

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