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मायवाती बोलीं- यूपी में अपराध चरम पर, अपराधियों में नहीं कानून का डर

बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. यूपी में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी हत्या और ज्यादती का शिकार हो रहा है.

मायावती
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Published : Aug 25, 2020, 6:48 PM IST

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर कानून व्यवस्था को लेकर हमला बोला है. मायावती ने कहा कि खासकर उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी काल में भी यहां अपराध थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब तो यूपी में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माने जाने वाले मीडिया जगत के लोग भी आए दिन हत्या, जुर्म और ज्यादती के शिकार हो रहे हैं. प्रदेश की यह स्थिति बहुत ही दुखद है. बलिया में पत्रकार की हुई हत्या इसका ताजा उदाहरण है.

बसपा अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि वैसे भी यूपी में सरकार की बदहाली का हाल यह है कि बात-बात पर रासुका, देशद्रोह व अन्य प्रकार के अति संगीन धाराओं के इस्तेमाल करने के बावजूद भी यहां हर प्रकार के अपराध यूपी में कम होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. यूपी में कानून का अनुचित, जातिगत व द्वेषपूर्ण इस्तेमाल होने के कारण लोगों में तो कानून का डर नहीं बचा है. न ही कानून का राज रह गया है. आम जनता त्रस्त है और वह इसमें बुरी तरह से पिस रही है. इसलिए सरकार अपनी कार्यशैली में आवश्यक सुधार करे तो बेहतर है.

कांग्रेस पर भी निशाना

मायावती ने कहा कि आजादी के बाद केंद्र व उत्तर प्रदेश तथा देश के अधिकतर राज्यों में भी काफी लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी ही सत्ता में आसीन रही है. इस पार्टी के लंबे अरसे तक रहे शासनकाल में भी दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों और सवर्णों में से गरीब लोगों की भी आर्थिक स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया. विशेषकर दलितों व आदिवासियों का सरकारी नौकरी में आरक्षण का कोटा तक भी पूरा नहीं किया गया.

उन्होंने कहा कि अन्य पिछड़े वर्गों को भी इस पार्टी के सरकार में आरक्षण देने की व्यवस्था नहीं की गई. इस संबंध में आगे चलकर पहले काका कालेलकर की और फिर मंडल कमीशन की रिपोर्ट को भी केंद्र की कांग्रेसी सरकार ने लागू नहीं किया. इसलिए कांग्रेस पार्टी की ऐसी जातिवादी मानसिकता से दुखी होकर ही बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने केंद्र में अपने कानून मंत्री पद से इस्तीफा तक भी दे दिया था. इसी कांग्रेसी सरकार में मुस्लिम समाज के लोग भी सरकारी नौकरी में धीरे-धीरे काफी कम होते गए.

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