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दंगल गर्ल जायरा वसीम ने फिल्मी दुनिया को बोला बाय-बाय, मौलाना ने किया समर्थन - दंगल गर्ल जायरा वसीम ने छोड़ी एक्टिंग

दंगल गर्ल जायरा वसीम ने फिल्मी दुनिया को छोड़ने का एलान कर दिया है. सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा कि पांच साल पहले मैंने जो फैसला लिया था, उसने मेरी जिंदगी बदल दी. मैंने बॉलीवुड में कदम रखा, लेकिन मेरी ये यात्रा काफी थकाने वाली रही.

दंगल गर्ल जायरा वसीम.

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Published : Jun 30, 2019, 3:19 PM IST

लखनऊ:दंगल गर्ल के नाम से मशहूर फिल्मी अदाकारा जायरा वसीम ने फिल्मी दुनिया से मुंह मोड़ लिया है. रविवार सुबह उनके द्वारा किए गए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट से बॉलीवुड में खलबली मच गई है. वहीं मौलाना सुफियान निजामी ने जायरा वसीम के इस फैसले को उनका निजी फैसला बताते हुए समर्थन किया है.

प्रतिक्रिया व्यक्त करते मौलाना सुफियान निजामी.

जानें जायरा वसीम ने क्या लिखा पोस्ट में

  • दंगल गर्ल के नाम से मशहूर एक्ट्रेस जायरा वसीम ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है.
  • पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा कि पांच साल पहले मैंने जो फैसला लिया था, उसने मेरी जिंदगी बदल दी.
  • मैंने बॉलीवुड में कदम रखा, लेकिन मेरी ये यात्रा काफी थकाने वाली रही.
  • इन पांच सालों में मैं अपनी अंतरात्मा से लड़ती रही.
  • छोटी सी जिंदगी में इतनी लंबी लड़ाई नहीं लड़ सकती हूं.
  • इसलिए मैं इस फील्ड से अपना रिश्ता तोड़ रही हूं.
  • मैंने बहुत सोच-समझकर यह फैसला किया है.
    जायरा वसीम द्वारा किया गया पोस्ट.

जायरा वसीम के फैले पर क्या बोले मौलाना सुफियान निजामी

दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि मजहब पर अमल करना हर शख्स की जिम्मेदारी होती है. हर शख्स को मजहब पर अमल भी करना चाहिए. इस्लाम में फिल्मों में काम करने को मना किया गया है. अगर जायरा वसीम ने फिल्मों को छोड़ने का फैसला लिया है और मुल्क में रहते हुए अपने अधिकार का इस्तेमाल किया है, जो यह हक उनको इजाजत भी देता है कि वह अपने मजहब पर पूरी आजादी के साथ अमल करें. उनके इस फैसले पर किसी को भी ऐतराज नहीं करना चाहिए.

मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि अगर फिल्मी दुनिया छोड़ने का जायरा वसीम का फैसला किसी दबाव या जोर-जबरदस्ती से किया होता तो फिर लोगों को हक था कि वह उनसे बात करते कि आखिर किस बुनियाद पर उन्होंने यह फैसला लिया है. मौलाना ने आगे कहा कि यह फैसला उन्होंने इस्लाम पर अमल करने के हिसाब से किया है. इस मुल्क का संविधान हर किसी शख्स को अपने मजहब पर अमल करने की इजाजत देता है. लिहाजा इस पर किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

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