लखनऊ: माह ए रबी-उल-अव्वल का आगाज होते ही मस्जिदों में पैगम्बर मोहम्मद साहब की शिक्षाओं को लेकर जलसे आयोजित किए जा रहे हैं. दारूल उलूम निजामिया फरंगी महल की जामा मस्जिद ईदगाह लखनऊ में 12 दिवसीय 'जलसा सीरतुन्नबी सव सीरत-ए-सहाबा रजि और तहफ्फुजे शरीअत’ के जलसे भी कोविड-19 के प्रोटोकाल को देखते अदा किए जा रहे हैं. वहीं जलसे को सम्बोधित करते हुए मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि पैगम्बर-ए-इस्लाम को पूरी दुनिया के लिए रहमत बनाकर भेजा गया, जिनकी शिक्षाओं पर हम सबको अमल करना चाहिए.
कोविड-19 को देखते हुए इस वर्ष मस्जिदों में भीड़-भाड़ की जगह ऑनलाइन जलसे अदा किए जा रहे हैं. रबी उल अव्वल के महीने में होने वाले इन जलसों में पैगम्बर-ए-इस्लाम की शिक्षाओं के बारे में मुसलमानों को जागरूक और नबी ए करीम के जीवन के बारे में बताने के साथ उनके बताई हुई बातों पर अमल करने की शिक्षा दी जाती है.
रबी-उल-अव्वल का दसवां जलसा सम्पन्न
इस अवसर पर दसवें जलसे को सम्बोधन करते हुए इमाम ईदगाह व काजी-ए-शहर लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि रसूल पाक सल्ल की सीरत का सबसे रोशन विषय रहमत व शफक़त है. उन्होंने कहा कि आप सल्ल को खुदा पाक ने पूरी दुनिया के लिए रहमत बनाकर भेजा. मौलाना फरंगी महली ने कहा कि रसूल पाक सल्ल ए रहमत व शफकत, मुहब्बत व करम करने में सारे इंसानों के इमाम थे. आप सल्ल ए इंसानों के दुख दर्द और परेशानियों को न केवल गहराई से समझते थे, बल्कि उनके गमों और दुखों में शरीक भी होते थे. मौलाना ने कहा कि रसूल पाक सल्ल ए ने फरमया‘‘ जो दूसरों पर रहम और मेहरबानी नही करता वह खुद रहमत से महरूम रहेगा.’’
मौलाना ने कहा कि रसूल पाक सल्ल ए ने इंसानों का एहतिराम करने के लिए फरमाया कि मखलूक सब खुदा पाक का कुटुम्भ है और खुदा पाक को अपने बन्दों में सबसे ज्यादा पसन्दीदा वह है, जो उसके कुम्बे के साथ अच्छा व्यवहार करे. आप सल्ल ए ने खुदा पाक की रहमत हासिल करने के लिए खुदा पाक के बन्दों पर रहमत व शफकत को शर्त बताया है. आप का फरमान है 'रहम करने वालों पर रहमान की रहमत होती है... अगर तुम जमीन वालों पर रहम करोगे, तो आसमान वाला है तुम पर रहमत नाजिल करेगा'.