लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण अधिनियम के तहत सिर्फ माता-पिता या वरिष्ठ नागरिक ही नहीं, उनकी संतानें या कोई भी पक्षकार अथवा प्रभावित व्यक्ति एसडीएम के आदेश को जिलाधिकारी के समक्ष चुनौती दे सकता है.
दरअसल, उक्त अधिनियम में अपील माता-पिता अथवा वरिष्ठ नागरिकों की ओर से ही दाखिल किए जाने की बात कही गई है. न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि विधायिका का यह आशय नहीं हो सकता कि वह एक प्रभावित पक्षकार को अपील के अधिकार से ही वंचित कर दे और दूसरे पक्षकार को यही अधिकार प्रदान करे. न्यायालय ने अपील के अधिकार में संतानों और अन्य प्रभावित पक्षकारों का उल्लेख न होने को ‘आकस्मिक चूक’ करार दिया है.
यह निर्णय न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह (Justice Sriprakash Singh) की एकल पीठ ने रूपम उर्फ ज्योति शर्मा और उनके पति की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. न्यायलाय ने इस निर्णय के साथ ही जिलाधिकारी, लखनऊ के उस आदेश को भी निरस्त कर दिया जिसमें याचियों की ओर से दाखिल अपील को अपोषणीय मानते हुए अस्वीकार कर दिया गया था.