लखनऊ:यूपी साइबर क्राइम टीम ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फर्म खोलकर क्रय-विक्रय कर करोड़ों की टैक्स चोरी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए गिरोह के सरगना संजय यादव को गिरफ्तार किया है. साइबर क्राइम एसपी के मुताबिक आरोपी ने 37 बोगस फर्म खोलकर 215 करोड़ के इनपुट टैक्स क्रेडिट(Input Tax Credit) की चोरी की है. आरोपी के खिलाफ पीजीआई और अमीनाबाद में दो मुकदमें दर्ज है.
एसपी साइबर क्राइम त्रिवेणी सिंह ने बताया कि उनकी टीम को बोगस फर्म बनाकर जीएसटी चोरी करने वाले गिरोह के बारे में सूचना मिल रही थी. इस मामले में अमीनाबाद में 2019 व पीजीआई थाने में 2020 में एक केस दर्ज हुआ. इन दोनों ही केस की जांच साइबर क्राइम थाने में शुरू हुई थी. जांच में सामने आया कि गिरोह ने लखनऊ, नोएडा, दिल्ली में सक्रिय होकर करोड़ों की जीएसटी चोरी की है. इसके लिए कई फर्जी नाम व पते पर फर्म बनाई गईं. इस मामले में साइबर क्राइम टीम ने लखनऊ में जानकीपुरम इलाके से संजय सिंह यादव गिरफ्तार किया है.
एसपी साइबर क्राइम के मुताबिक आरोपी संजय मूलरुप से उन्नाव के फतेपुर चौरासी का रहने वाला है. उसने फर्जीवाड़ा कर करोड़ों की संपत्तियां अर्जित की है. उसके पास से टीम को जीएसटी चोरी में प्रयुक्त होने वाला मोबाइल व नंबर बरामद हुआ है. पुलिस टीम उससे पूछताछ कर रही है.
साइबर क्राइम के मुताबिक आरोपी संजय के खिलाफ लखनऊ में अमीनाबाद के विशाल कश्यप ने 10 अगस्त 2019 को मुकदमा दर्ज कराया था. जिसमें आरोप लगाया कि उनके फर्म के नाम का फर्जी रजिस्ट्रेशन हो गया है. यह काम राशिद सिद्दीकी नाम के व्यक्ति ने किया है. उसने डेढ़ करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी की है. वहीं, 9 अक्तूबर 2020 को पीजीआई थाने में अजीम इकबाल खान ने एक मुकदमा दर्ज कराया. आरोप लगाया कि 8 फर्मों के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया है. नौ करोड़ की हेराफेरी की गई.
साइबर क्राइम के मुताबिक जीएसटी चोरी करने के लिए सरकार ने परिवहन के लिए ई-वे बिल अनिवार्य कर दिया. जिससे हर खरीद की सूचना विभाग को मिलने लगी. इन शातिर अपराधियों द्वारा माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए योजना बनाई गई ताकि किसी भी तरह ई-वे बिल प्राप्त कर लिया जाए. कई और नाम भी सामने न आये इसके लिए आरोपियों ने फर्जी तरीके से फर्म बनाई.