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नैमिषारण्य के कायाकल्प का मास्टर प्लान तैयार, इको टूरिज्म के वैश्विक केंद्र के रूप में किया जाएगा विकसित

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के नेतृत्व में प्रदेश की आध्यात्मिक विरासत को सजाने और संवारने का काम जल्द शुरू होने जा रहा है. इसके लिए पर्यटन विभाग ने योजनाबद्ध तरीके से मास्टर प्लान तैयार कर लिया है. इसके तहत सीतापुर के नैमिषारण्य और मिश्रिख-नीमसार का कायाकल्प किया जाना है.

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Published : Dec 8, 2022, 4:50 PM IST

लखनऊ :उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के नेतृत्व में प्रदेश की आध्यात्मिक विरासत को सजाने और संवारने का काम जल्द शुरू होने जा रहा है. इसके लिए पर्यटन विभाग ने योजनाबद्ध तरीके से मास्टर प्लान तैयार कर लिया है. इसके तहत सीतापुर के नैमिषारण्य और मिश्रिख-नीमसार का कायाकल्प किया जाना है. इसके तहत पर्यटन विभाग नैमिषारण्य को वैदिक शहर, आध्यात्मिक, धार्मिक और इको टूरिज्म के एक वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित करने जा रहा है. मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने पर्यटन विभाग के आला अधिकारियों को इस संबंध में दिशा-निर्देश दिए हैं. उल्लेखनीय है कि हाल ही में मंत्रिपरिषद की बैठक में नैमिषारण्य को पौराणिक महत्व के अनुरूप आध्यात्मिक पर्यटन केंद्र के तौर पर विकसित करने का निर्णय हुआ था. साथ ही यहां नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद के गठन का भी निर्णय लिया गया था.


मुख्य सचिव के समक्ष पर्यटन विभाग की ओर से डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ की आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग फैकल्टी ने प्रस्तुतिकरण दिया. इसमें नैमिषारण्य के विकास का पूरा मास्टर प्लान समझाया गया. इसके तहत नैमिषारण्य को इसके प्राकृतिक और मानव निर्मित विविध स्रोतों के कारण 4 टूरिज्म जोन में बांटा गया है. बैठक के दौरान पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने बताया कि यहां बने मंदिर में कई द्वार हैं और फ्रंट में कई दुकानों की वजह से यहां जाम की स्थिति रहती है. इस पर काम किया जाएगा. यहां का कुंड इस्तेमाल में नहीं है, जिसे रीस्टोर किए जाने की आवश्यकता है. यहां आम नागरिकों के लिए जरूरी सुविधाओं और उनके मेंटीनेंस पर भी ध्यान दिया जाएगा. इसी तरह चक्र तीर्थ में प्रवेश द्वार से लेकर चेंजिंग और टॉयलेट ब्लॉक, चक्रतीर्थ कुंड की सफाई और रेनोवेशन, गौकुंड, सत्संग भवन, सभा स्थल और वेटिंग एरिया के अलावा गोदावरी कुंड और ब्रह्म कुंड को रेनोवेट किया जाएगा. इसी तरह दधीचि कुंड का भी रेनोवेशन किए जाने की आवश्यकता है.



धार्मिक स्थलों के साथ-साथ शहर पर भी काम किए जाने की जरूरत है. शहर के प्रवेश द्वारों के साथ-साथ ट्रांजिट नोड विकसित किए जाएंगे. इसके अलावा शहर में डेडिकेटेड पार्किंग की व्यवस्था होगी. इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के चार्जिंग प्वॉइंट्स के अलावा टूरिस्ट्स फैसिलिटेशन सेंटर, धर्मशाला, फूड कोर्ट जैसी आम नागरिक सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. इसके अलावा यहां आने वाले लाखों तीर्थयात्रियों के लिए डेडिकेटेड फुटपाथ भी बनेंगे. यही नहीं, 84 कोसी परिक्रमा क्षेत्र में भी आम नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. शहर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के अनुसार टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेंटर बनाए जाएंगे. वेटिंग एरिया, कैफेटेरिया, चेंजिंग रूम और रेस्ट रूम का विकास होगा. घाटों का चौड़ीकरण एवं अन्य जरूरी चीजों का विकास किया जाएगा.



इस दौरान पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम (Principal Secretary Mukesh Meshram) ने बताया कि NMT (नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट) का प्रावधान जिसका उद्देश्य कार्बन फुटप्रिंट को कम किया जाना है. सीतापुर शहर प्रमुख रूप से भूजल संसाधनों पर निर्भर है, इसलिए भूजल की कमी से बचने के लिए एक विकल्प की आवश्यकता है. इस प्रकार विकास क्षेत्र में वर्षा जल संचयन किया जा सकता है. वर्षा जल संचयन प्रणाली अपनाने के लिए अधिकारियों द्वारा लोगों को प्रोत्साहन प्रदान किया जाना चाहिए. सभी सार्वजनिक भवनों में नई इमारतों में वर्षा जल संचयन प्रणाली उपलब्ध कराई जानी चाहिए. 5000 वर्ग मीटर से अधिक के विकास के लिए एक वर्षा जल प्रणाली प्रदान की जानी आवश्यक है.


नैमिषारण्य के कायाकल्प की योजना को 3 तरह से प्लान किया गया है. पहली योजना के तहत तमाम धार्मिक स्थलों का पर्यटन विभाग द्वारा कायाकल्प किया जाएगा. वहीं दूसरी योजना सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट से मिलने वाली ग्रांट के जरिए विकास की है. इसके तहत वाटर सप्लाई, अंडरग्राउंड सीवरलाइंस व सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, रोड और पार्किंग लाट्स, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, फायर स्टेशन और स्ट्रीट लाइट समेत अन्य विकास की योजनाएं शामिल हैं. तीसरी योजना के तहत पीपीपी मोड में होटल निर्माण, ईवी चार्जिंग प्वॉइंट्स, ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा और कॉमर्शियल जगहों को विकसित करने पर ध्यान दिया जाएगा.

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