लखनऊ: रक्षाबंधन पर्व (Rakshabandhan festival) को लेकर शहर के बाजारों में रंग-बिरंगी राखियां बिकनी शुरू हो गई हैं. बहनें अपने भाईयों की कलाई पर बांधने के लिए राखियों की बाजार में खरीदारी करने में जुट गई हैं. बाजार में एक से एक सुंदर राखियां उपलब्ध हैं. रक्षाबंधन पर बहनों द्वारा बांधे जाने वाली एक डोर में संसार की सारी खुशियां समाई होती हैं. वहीं भाईयों में भी त्यौहार को लेकर उत्साह होता है. बाजारों में नई तरह की राखियां आई हैं. पिछले साल कोरोना के कारण दुकानदारों ने नई राखियों का स्टॉक नहीं खरीदा था. पिछले साल कोरोना ने लोगों को राखी पसंद करने का भी ऑप्शन नहीं दिया था, क्योंकि जो मिल रहा था, लोगों ने वही ले लिया था. इस बार बाजार में नए स्टॉक आए हैं. राखी की सजी सजाई थाली भी दुकान पर उपलब्ध है, जिसकी कीमत 325 रुपये है.
भाई-बहनों के त्यौहार के लिए सजीं दुकानें, 'राखी की थाली' कर रही आकर्षित
भाई-बहनों के सबसे बड़े त्यौहार को लेकर इस बार जमकर तैयारी हो रही है. राजधानी लखनऊ के बाजारों में रंग-बिरंगी राखियां सजना शुरू हो गई हैं. भाइयों के हाथ पर सुंदर-सुंदर राखियां बांधने के लिए बहनें दुकानों पर पहुंचकर खरीदारी भी कर रही हैं. बाजार में उपलब्ध सजी-सजाई राखी की थाली बहनों को आकर्षक कर रही है.
लखनऊ में रक्षाबंधन की तैयारियां तेज.
बाजार में रेशम, कलावा, जरी, रुद्राक्ष, विभिन्न देवी-देवताओं, मोतियों आदि की राखियां उपलब्ध हैं. इन राखियों की कीमत 5 से 100 रुपये तक है. कार्टून वाली राखियां बच्चों की पहली पसंद बनी हुई हैं. हर साल यह हमेशा बाजार में उपलब्ध होती हैं. रक्षाबंधन पर्व पर बच्चों को बाजार में टीवी पर प्रसारित होने वाले कार्टूनों की राखियां भी बहुत पसंद आ रही हैं, जिनमें बच्चे डोरीमोन, मोटू-पतलू, निन्जा-हथौड़ी आदि राखियों की खरीदारी कर रहे हैं.ये राखियां भी बाजार में 20 से लेकर 50 रुपये में उपलब्ध हैं.
हजरतगंज में राखी की दुकान लगाए उम्र हासिम बताते हैं कि पिछले साल बीते तीन अगस्त को रक्षाबंधन के त्योहार के लिए सरकार द्वारा गाइडलाइंस जारी की गई थी और उनका पालन करते हुए ही ये त्यौहार मनाए गए थे. इस बार अभी कम आमदनी हो रही है, लेकिन लोग राखी खरीदने के आ रहे है. 2019 में जैसी बिक्री हुई थी. वैसी बिक्री अब नहीं होती. दुकानदार रामू यादव ने बताया कि हमारे देश के प्रधानमंत्री मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया का नारा देते हैं, जिसके तहत बाजारों में अब किसी अन्य देश की राखी उपलब्ध नहीं है. फिर चाहे वह चाइनीज हो या कोई अन्य देश हो. हमारे यूपी में ही लोग राखियां बनाते हैं और बाजार में सप्लाई करते हैं. इससे यूपी के गरीब लोगों को भी रोजगार मिल रहा है. उनका सामान सही दाम में बिक रहा है और उन्हें चार पैसे की आमदनी हो रही है.