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यूपी में बाढ़ का रौद्र रूपः चारों तरफ मचा हाहाकार, कई इलाके जलमग्न - villages affected from flood

यूपी में बाढ़ का कहर लगातार जारी है. प्रदेश के लगभग 22 जिलों के लगभग 466 गांव बाढ़ के कारण प्रभावित हुए हैं. लोग पालयन करने को मजबूर हो रहे हैं. बाढ़ के चलते कई गांवों से संपर्क करने के सारे साधन बंद हो गए हैं.

यूपी में बाढ़ का कहर.
यूपी में बाढ़ का कहर.

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Published : Aug 11, 2021, 4:54 PM IST

Updated : Aug 11, 2021, 9:43 PM IST

लखनऊः यूपी के 22 जिले इस समय बाढ़ की चपेट में हैं. इन जिलों के लगभग 466 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. प्रदेश में नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. यमुना और गंगा नदी तीन दिन से लगातार खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. ऐसे में कई जिलों में राहत एवं बचाव कार्य तेज कर दिए गए हैं. साथ ही अधिकारी लगातार बाढ़ क्षेत्रों पर निगरानी बनाए हुए हैं.

इन जिलों में है भयावह स्थिति

जनपद गाजीपुर इन दिनों गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. जिसकी वजह से जनपद की जमानिया तहसील और मोहम्दाबाद तहसील बाढ़ से प्रभावित है. मौजूदा समय की बात करें तो जनपद में गंगा खतरे के निशान से करें 1 मीटर से भी ऊपर बह रही है. ऐसे में बाढ़ से प्रभावित इलाकों का जिले के आलाधिकारियों ने निरीक्षण किया. जिला अधकारी मंगला प्रसाद सिंह और पुलिस अधीक्षक डॉक्टर ओम प्रकाश सिंह अपने पूरी लाव लश्कर के साथ जमानिया तहसील के उतरौली, नसीरपुर, हसनपूरा, बिरउपुर, दुल्लापुर, रामपुर का स्थलीय निरीक्षण कर बाढ़ का जायजा लिया. बाढ़ से पशुपालक भी प्रभावित हुए हैं. बाढ़ के चलते पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था नहीं हो पा रही है.

गाजीपुर में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करते अधिकारी.

साथ ही सम्बन्धित ग्राम प्रधानों को निर्देश दिया कि, वे अपने निधि से क्षेत्र में जनरेटर की व्यवस्था सुनिश्चित रखेंगे तथा बाढ़ से प्रभावित लोगों के सम्बन्ध में सूचना संकलित कर तत्काल कन्ट्रोल रूम को सूचित करेंगे. जिससे प्रभावित लोगों को बनाए गए आश्रय केन्द्रों पर पहुंचाया जा सके. इसके साथ ही लोगों के आवागमन के लिए बाढ़ प्रभावित गांवों के लिए 2-2 नाव की व्यवस्था कर दी गई है. बाढ़ चौकियां भी बनाई गई हैं और इन चौकियों पर जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों को रहने का निर्देश जारी किया गया है. राहत केंद्र बनाए जाने के लिए सुरक्षित स्थान चिन्हित करने का निर्देश भी जारी किया गया है.

मोहम्दाबाद तहसील के सेमरा गांव में 2012 में गंगा नदी में कटान से पीड़ित सड़क किनारे झोपड़ी बनाकर रह रहे थे. अब इस बार की बाढ़ में इनकी झोपड़ी में भी पानी घुस गया है. जिसके चलते लोगों को पास के प्राइमरी विद्यालय में शरण लेनी पड़ी है. 3-4 दिनों में यहां पर 25 से 30 बीघा भूमि गंगा में समाहित हो चुकी है.

चंदौली में बाढ़ का कहर

चंदौलीःगंगा के जल स्तर में लगातार बढ़ोतरी जारी है. गंगा का जल स्तर खतरे के निशान को पार कर गया. अभी भी जल स्तर चार सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है. वर्तमान में गंगा 72.02 मीटर पर बह रही हैं. इसके चलते जिले में नियामताबाद ब्लॉक के जलीलपुर, कुंडा, बहादुरपुर, मवई कला सहित अन्य गांवों में गंगा कटान तेजी पर है. कुंडाखुर्द गांव के मल्लाह बस्ती में भी कटान तेजी पर है. इससे ग्रामीण परेशान हैं.

चंदौली में बाढ़ का कहर.

वहीं चहनियां के रौना, कैली, भूपौली, डेरवा, महड़ौरा, कांवर, पकड़ी, महुअरिया, विशापुर, महुआरी, सराय, बलुआ समेत दो दर्जन भर गांव बाढ़ की चपेट में हैं. वहीं धानापुर ब्लॉक में लगातार बढ़ रहे जलस्तर ने तटवर्ती ग्रामीणों की चिंता बढ़ा दी है. क्षेत्र के तटवर्ती नौघरा, बुद्धपुर, हिंगुतरगढ़, दीयां-रामपुर, प्रसहटां, गद्दोचक, नेकनामपुर, करीं, नादी, निधौरा, नरौली, नगवां, अमादपुर, मेढ़वां, सकरारी, कोहणां, पपरौल, प्रहलादपुर, गुरैनी समेत अन्य गांवों की फसलें डूबनें से किसान काफी परेशान हैं.

बाढ़ से निचले स्तर के प्रभावित होने वाले 43 गांव चिह्नित किए गए हैं. सबसे अधिक प्रभावित 14 गांव हैं. सुरक्षा की दृष्टि से भूपौली, नादी निधौरा, मथेला, बलुआ, टांडा कला, चहनिया, धानापुर, अमादपुर, डबरिया, बीरासराय आदि 13 बाढ़ चौकी स्थापित की गई हैं. सुरक्षा के लिए आठ बड़ी नाव , 12 मझोली और 39 छोटी नाव और छह गोताखोर का चयन किया गया है. वहीं अपनी बहन की ससुराल में रह रहा एक गाजीपुर के अंकित की गंगा में डूबने से मौत हो गई.

रायबरेली में जल जमाव.

रायबरेली में बारिश ने खोली नगर पालिका की पोल

रायबरेली में बीते दो दिनों से हो रही बारिश ने नगर पालिका और नगर पंचायत के नालों की सफाई की पोल खोल कर रख दी है. शहर और कस्बों के मोहल्लों में घुटनों तक जलभराव हो गया है. लोगों का घरों से निकलना बंद से हो गया है. ये समस्या एक दिन की नहीं बल्कि दशकों पुरानी है, लेकिन नगर पालिका और नगर पंचायत के जिम्मेदारों ने अपने कानों में रुई डाल रखी है. इस समस्या के समाधान के लिए स्थानीय लोग जन प्रतिनिधि से लेकर अधिकारियों तक से गुहार लगा चुके है, लेकिन किसी ने भी उनकी समस्या के समाधान की ओर ध्यान नहीं दिया.

फर्रुखाबाद में बाढ़ के पानी से डूबी बाजार.

फर्रुखाबाद में बाढ़ में डूबे गांव

फर्रुखाबाद जिले में गंगा का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का पानी कई गांवों के लिए मुसीबत बन गया है. नरौरा बांध से गंगा से 78319 क्यूसेक पानी छोड़े जाने से गंगा का खतरे जलस्तर 136.90 मीटर तक पहुंच गया है. जबकि चेतावनी बिंदु 136.60 मीटर पर है. वहीं राम गंगा का जलस्तर 134.05 मीटर पर पहुंच गया है. चित्रकूट के निकट बदायूं मार्ग पर 2 फीट पानी तेज धारा के साथ बहने से दोपहिया वाहनों का आवागमन बाधित हो गया है. बाढ़ से घिरे गांवों के लोग नाव के सहारे आवागमन कर रहे हैं. गांव में पानी भरने से कारण वह पलायन को मजबूर हो गए हैं. बाढ़ प्रभावित कई गांव के लोगों ने सड़क पर पॉलिथीन का आशियाना बनाकर चारपाई पर ग्रहस्थी सजाई है. यहां उन्हें सांप बिच्छू आदि जंगली जंतुओं का भी खतरा है.

बांदा में बाढ़ का तंडाव, घर छोड़ने को मजबूर हुए लोग

जिले की प्रमुख नदियां केन और यमुना पूरे उफान पर हैं. जिले के कई इलाके बाढ़ की चपेट में हैं. पैलानी, चिल्ला और बबेरू क्षेत्र में बाढ़ के चलते स्थिति भयावह हो गई है. इन क्षेत्रों के 2 दर्जन से अधिक गांवों के अंदर पानी घुस चुका है. जिसके चलते लोगों ने अपने गांव को खाली कर ऊंचे स्थानों में शरण ली है.

बांदा में लोग पलयान को मजबूर.

बांदा में सन 2016 में भी बाढ़ आई थी और चिल्ला और पैलानी क्षेत्र के नदियों के किनारे के इलाकों में सबसे ज्यादा स्थिति खराब देखने को मिली थी. जहां गांव के गांव बाढ़ से जलमग्न हो गए थे. सन 2016 में आई बाढ़ में यमुना नदी का जलस्तर 102.10 मीटर तक पहुंच गया था. वहीं इस बार की आई बाढ़ में यमुना नदी का जलस्तर 102.47 तक पहुंच गया है.

वाराणसी में गंगा का जलस्तर 72.08 मीटर के पार

वाराणासी गंगा का जलस्तर खतरे का निशान पार कर चुका है. जिसे लेकर जिला प्रशासन पूरी तरीके से तैयार हैं. वहीं घाट किनारे कालोनियों और सड़कों पर नाव चल रही है. भेलूपुर क्षेत्र के अस्सी मोहल्ले के जगन्नाथ मंदिर की गली में पानी कमर से ज्यादा भर चुका है. गलियों में एक तरफ मोटरसाइकिल तो दूसरी तरफ सड़क पर नाव चलती नजर आ रही हैं.

वाराणसी में बाढ़ के बीच सेल्फी लेते युवक.

प्रतापगढ़ में जिला अस्पताल के OPD में घुसा बाढ़ का पानी

जिले में लगातार देर रात मूसलाधार बारिश हुई. जिससे मेडिकल कॉलेज की ओपीडी समेत के अलग-अलग हिस्सों में बारिश के बाद बाढ़ का पानी भर गया. मेडिकल कॉलेज के ओपीडी में तैनात डॉक्टर कुर्सी पर बैठे नजर आए. इससे स्थिति भयावह हो गई है. काफी विस्तृत क्षेत्र में फैले इस अस्पताल में दूर-दूर से मरीज इलाज कराने आते हैं. सर्जिकल विभाग में पानी भरने के बाद स्थिति यह है कि मरीज बिस्तर पर हैं और नीचे पानी तैर रहा है.

Last Updated : Aug 11, 2021, 9:43 PM IST

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