उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

स्पेयर पार्ट्स के अभाव में कई रोडवेज बसों के थमे पहिए, मरम्मत के लिए नहीं मिल रहा बजट - यूपी रोडवेज इंप्लाइज यूनियन

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (Uttar Pradesh Road Transport Corporation) की कई बसें स्पेयर पार्ट्स के अभाव में शोपीस बनकर रह गई हैं. इसके बावजूद विभाग की ओर से बसों के मरम्मत के लिए बजट जारी नहीं किया जा रहा है.

यूपी रोडवेज इंप्लाइज यूनियन अध्यक्ष रूपेश कुमार.
यूपी रोडवेज इंप्लाइज यूनियन अध्यक्ष रूपेश कुमार.

By

Published : Dec 4, 2021, 6:46 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (Uttar Pradesh State Road Transport Corporation) की बसें स्पेयर पार्ट्स के अभाव से जूझ रही हैं. यही वजह कि यात्रियों को रूट पर बसें मिल नहीं रही हैं. इसका खामियाजा यात्रियों के साथ ड्राइवर-कंडक्टरों को भी उठाना पड़ रहा है. क्योंकि संविदा कर्मियों का वेतन बसों के संचालन के आधार पर ही मिलता है. वहीं, हाल ही में 11 दिन से खड़ी एक जनरथ बस के डिपो में खड़े होने पर सेवा प्रबंधक को हटा दिया गया, लेकिन कई डिपो में तमाम बसें खड़ी हैं.


मेंटेनेंस के अभाव में रोडवेज बसें कार्यशाला में ही खड़ी रह जाती हैं जबकि इन बसों का संचालन सड़क पर होकर यात्रियों को राहत देना है. कोरोना काल के दौरान स्पेयर पार्ट्स के लिए कोई पेमेंट जारी न होने के चलते सेवा प्रबंधकों के पास पार्ट्स खरीदने के लिए फंड नहीं है. यही वजह है कि डिपो से बसें बाहर निकल पाने में असमर्थ हैं. खास बात यह है कि इन बसों में तमाम ऐसी बसें हैं जिनमें सिर्फ 500 से लेकर 1000 रुपये तक ही मेंटेनेंस पर खर्च होने हैं, लेकिन इतना भी पैसा वर्कशॉप को नहीं दिया जा रहा है. लखनऊ समेत प्रदेशभर की कार्यशालाओं की यही स्थिति है.

यूपी रोडवेज इंप्लाइज यूनियन अध्यक्ष रूपेश कुमार.
लखनऊ रीजन की बात करें तो यहां पर चारबाग कार्यशाला, कैसरबाग, अवध डिपो की वर्कशॉप में तमाम ऐसी बसें खड़ी हैं जिनके स्पेयर पार्ट्स ही नहीं मिल रहे हैं. वहीं हैदरगढ़ और उपनगरीय की बसें भी मेंटेनेंस के अभाव से जूझ रही हैं. खास बात यह है कि रोडवेज बसों के स्पेयर पार्टस काफी महंगे हो गए हैं, जबकि मुख्यालय की तरफ से सिर्फ पांच पैसे प्रति किलोमीटर के हिसाब से ही मेंटेनेंस की कीमत निर्धारित है.
इसी तरह वातानुकूलित बसों को सिर्फ आठ पैसे प्रति किलोमीटर के हिसाब से ही मेंटनेंस का भुगतान किया जाता है. अब इतने कम पैसे में एक बस का मेंटेनेंस हो पाना असंभव है. परिवहन निगम के अधिकारी बताते हैं कि साधारण बसों की मेंटेनेंस के लिए वर्तमान में प्रति किलोमीटर पांच पैसे मिलते हैं, कम से कम उस बस के लिए प्रति किलोमीटर 20 पैसे निर्धारित किए जाने चाहिए. वातानुकूलित बसों के लिए कम से कम 30 से 35 पैसे प्रति किलोमीटर मिले तो मेंटेनेंस हो सकता है. पिछले कई सालों से इसे रिवाइज नहीं किया गया.

इसे भी पढ़ें-एक लाख रुपये व बुलेट न मिलने पर फोन पर दिया तीन तलाक...पढ़िए पूरी खबर

गौरतलब है कि बता दें कि अवध डिपो की एक जनरथ बस 11 दिन से सिर्फ 1000 रुपये की वजह से डिपो में खड़ी रही. जिससे यात्रियों को दिक्कत होने के साथ रोडवेज को नुकसान हुआ और चालक परिचालक के किलोमीटर पूरे नहीं हो सके. इसके बाद लखनऊ रीजन के कार्यशाला सेवा प्रबंधक विक्रमजीत को हटा दिया गया.

उत्तर प्रदेश रोडवेज इंप्लाइज यूनियन के अध्यक्ष रूपेश कुमार का कहना है कि परिवहन निगम प्रबंधन बसों के मेंटेनेंस पर ध्यान नहीं दे रहा है. कुछ ही रुपये के लिए बसें डिपो में खड़ी हो जाती हैं, जिससे यात्रियों को दिक्कत तो होती है रोडवेज के संविदा चालक परिचालकों के सामने वेतन की समस्या खड़ी हो जाती है. आलम यह है कि बसें खराब होने पर ड्राइवर कंडक्टर अपनी जेब से पैसा खर्च करते हैं. जिससे कम से कम उनके किलोमीटर पूरे हो जाएं और उनका महीने के आखिर में वेतन बन सके. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को इस तरफ विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए और समय पर स्पेयर पार्ट्स खरीद कर बसों को मेंटेन किया जा सके.

ABOUT THE AUTHOR

...view details