लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) के प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग के संग्रहालय (Museum) में इतिहास के कई अनकहे किस्से कैद हैं. यहां न केवल आपको इंसान के हजारों साल पुराने इतिहास के बारे में जानने का मौका मिलेगा बल्कि नैमिषारण्य के तीर्थ की ऐतिहासिक प्रमाणिकता के साथ भी मौजूद है. यह म्यूजियम इस बात का गवाह है कि उत्तर प्रदेश की भूमि कैसे लाखों-करोड़ों वर्षों के इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए है. विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष पीयूष भार्गव बताते हैं कि वर्ष 1974-75 में इस संग्रहालय की नींव रखी गई थी.
जानिए म्यूजियम में क्या कुछ है खास
पुरातत्व संग्रहालय की स्थापना प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर वीएन श्रीवास्तव के कार्यकाल में किया किया गया था. यह संग्रहालय मुख्य रूप से एक अध्ययन संग्रहालय या स्टडी म्यूजियम है. यहां पर बच्चों को पढ़ाने के लिए विभिन्न आर्टीफेक्ट्स पुराअवशेष का संग्रह किया गया है. जिसमें कुछ प्लास्टर कास्ट मेटेरियल है और कुछ विभिन्न पूरा स्थलों से उत्खनित पुरावशेष है. प्रो. पीयूष भार्गव ने बताया कि इस संग्रहालय में निम्न पुरापाषाण काल से मध्यकाल तक के विभिन्न अवशेषों को प्रदर्शित किया गया है. लगभग 3000 वर्ष पूर्व तक की सामग्रियां प्राप्त हुई हैं. इनमें मृदभांड और अन्य पूरा अवशेष सम्मिलित हैं, यह सभी इतिहास के विभिन्न पक्षों को प्रदर्शित करते हैं. उन्होंने बताया कि आमतौर पर लोग पाषाण युग को एक साथ ही प्रयोग करते हैं, जबकि पुरातत्व में यह विभिन्न भागों में विभाजित है. जैसे पुरापाषाण काल के ही तीन भाग निम्न पुरापाषाण काल, मध्य पुरापाषाण काल और उच्च पुरापाषाण काल है. इसके बाद मध्य पाषाण काल, नवपाषाण काल और ताम्र पाषाण काल है. इन सभी से संबंधित उपकरण इस संग्रहालय में प्रदर्शित हैं.