लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पॉलिटेक्निक कॉलेज की हालत बहुत खराब है. इनमें, दाखिल के लिए छठे चरण काउंसलिंग चल रही है. अभी तक सिर्फ 47 हजार सीट पर प्रवेश हो पाए हैं. यानी, करीब 1.81 लाख सीटें खाली पड़ी हैं. दाखिले की इस खराब तस्वीर के पीछे निजी कॉलेजों का खेल सामने आ रहा है. पॉलिटेक्निक के इंजीनियरिंग और फार्मेसी के डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की काफी डिमांड है. केवल वही छात्र छात्राएं इस काउंसलिंग में शामिल हो रहे हैं, जिनको यह उम्मीद थी कि वह काउंसलिंग के माध्यम से सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त पॉलिटेक्निक संस्थान में दाखिला ले सकते हैं. जहां तक निजी कॉलेजों का सवाल है तो उन्होंने ज्यादातर सीटें अपने स्तर पर भर ली हैं.
यह है तस्वीर
उत्तर प्रदेश में सरकारी पॉलीटेक्निक संस्थानों में 39, 759 सीटे हैं. इसमें 32,410 सीटें भर गई हैं. अनुदानित में 9951 सीटें हैं, इसमें 6304 सीटें भर गई. निजी पॉलिटेक्निक में 1,78,743 सीटें हैं, जिनमें करीब 7000 पर दाखिले हुए हैं. दाखिले के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया बीते 14 सितंबर के आसपास शुरू की गई थी. गुरुवार को छठे चरण की काउंसलिंग के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी होने जा रही है. इसकी अंतिम तिथि 6 अक्टूबर थी, लेकिन अभ्यर्थियों की सहूलियत को देखते हुए गुरुवार दोपहर 12:00 बजे तक इसको बढ़ा दिया गया था. संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद के प्रभारी सचिव राम रतन ने बताया कि काउंसलिंग की प्रक्रिया 14 सितम्बर से चल रही है. अभी तक करीब 47 हजार ने दाखिले लिए हैं. उन्होंने बताया कि छठे चरण की काउंसलिंग के नतीजे जल्द जारी किए जाएंगे.