लखनऊ: प्रदेश में प्रतिवर्ष सड़क हादसों में हजारों लोगों की जान जाती है. सड़क हादसे में जान जाने का एक बड़ा कारण यह है कि एक्सीडेंट के बाद लोग मदद के लिए आगे नहीं बढ़ते हैं. आज भी लोगों को ऐसा लगता है कि अगर वह किसी रोड एक्सीडेंट में लोगों की मदद करेंगे तो पुलिस उनसे पूछताछ करेगी, जबकि ऐसा नहीं है. कोर्ट के निर्देशों के तहत रोड एक्सीडेंट के दौरान मदद करने वाले व्यक्ति को पुलिस गवाह नहीं बनाएगी.
लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई थी व्यवस्था
रोड एक्सीडेंट के दौरान लोग पीड़ित की मदद करें, इसके लिए नेक आदमी प्रोत्साहन की व्यवस्था बनाई गई थी, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते व्यवस्थाओं का फायदा लोगों को नहीं मिल पा रहा है. ट्रांसपोर्ट कमिश्नर धीरज साहू ने नेक आदमी प्रोत्साहन व्यवस्था को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में बताया कि इस तरह की योजना तैयार की गई थी, लेकिन अभी तक इसका अनुमोदन नहीं किया जा सका है. यह व्यवस्था लाइन में है, जिसे भविष्य में लागू किया जाएगा.
एमबी एक्ट में किया गया था संशोधन
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद एमबी एक्ट में संशोधन कर ने नेक आदमी प्रोत्साहन योजना की रूपरेखा तैयार की गई थी. 2019 में संशोधन के बाद एक्सीडेंट के दौरान मदद करने वाले व्यक्ति को नेक आदमी मानते हुए उसे 2000 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जानी थी, लेकिन उत्तर प्रदेश में संशोधन के बाद भी अभी तक एक भी व्यक्ति को नेक आदमी प्रोत्साहन योजना के तहत सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई.