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गर्मी में फूलने लगी बिजली विभाग की सांसें, कटौती से उपभोक्ताओं को आ रहा पसीना

राजधानी समेत उत्तर प्रदेश के कई जिले इन दिनों बिजली संकट से जूझ रहे हैं. ग्रामीण इलाके ही नहीं शहरी इलाकों में भी उपभोक्ताओं को जबरदस्त बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है. इस रिपोर्ट में समझिए बिजली विभाग विद्युत आपूर्ति के लिए कौन से पैंतरे अपना रहा है.

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उत्तर प्रदेश में बिजली कटौती

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Published : Apr 16, 2022, 2:36 PM IST

लखनऊ:राजधानी समेत उत्तर प्रदेश के कई जिले इन दिनों बिजली संकट से जूझ रहे हैं. ग्रामीण इलाके ही नहीं शहरी इलाकों में भी उपभोक्ताओं को जबरदस्त बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है. वहीं लखनऊ की बात करें तो यहां भी शायद ही कोई ऐसा दिन होगा जब बिजली कटौती न हो रही हो. दिन हो या रात, बिजली के लिए लोगों को अब तरसना पड़ रहा है. ओवरलोड ट्रांसफार्मर दगा दे रहे हैं. नए उपकेंद्र जो बनकर तैयार हो जाने चाहिए थे उनका काम आधा-अधूरा पड़ा है. जर्जर तारों को सुधारने के लिए बिजली विभाग की नींद अब खुली है. यही कारण है कि लोगों को बिजली की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है. आने वाले महीनों में और भी ज्यादा विकराल गर्मी पड़ेगी. ऐसे में लोगों को और भी ज्यादा बिजली की परेशानी उठानी पड़ सकती है.


बीते साल मार्च माह में 18,593 मेगावाट और अप्रैल में 19,837 मेगावाट की बिजली की मांग थी. लेकिन इस बार गर्मी अभी से रिकॉर्ड तोड़ने लगी है. लिहाजा बिजली की मांग में पिछले साल की तुलना में जबरदस्त इजाफा होने लगा है. पिछले साल की तुलना में इस साल मार्च-अप्रैल में बिजली की मांग अप्रत्याशित रूप से बढ़कर 20,479 मेगावाट और वर्तमान में 21,483 मेगावाट तक पहुंच गई है. कटौती के बिना अब बिजली आपूर्ति कर पाना भी विभाग के लिए संभव नहीं रह गया है. ऐसे में अब बिजली विभाग किसी न किसी बहाने बिजली कटौती में जुट गया है.

शटडाउन के नाम पर कई-कई घंटे तक इलाकों की बत्ती गुल रहती है. शटडाउन का जितना निर्धारित समय संबंधित उपकेंद्र की तरफ से दिया जाता है, उसके अलावा कम से कम एक से डेढ़ घंटा ज्यादा उपभोक्ताओं को बिजली संकट से जूझना ही पड़ता है. अचानक कोई फॉल्ट आने पर बिजली विभाग उसे दुरुस्त करने में इसलिए और भी देरी करता है जिससे बिजली कटौती की जा सके और बिजली विभाग पर यह आरोप भी न लगे कि बिजली कटौती की जा रही है. तकनीकी खराबी का बहाना बनाकर बिजली कटौती को अधिकारी अंजाम दे रहे हैं.

14 करोड़ से दुरुस्त होगी शहर की बिजली- लखनऊ की बिजली आपूर्ति व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए मध्यांचल विद्युत वितरण निगम की तरफ से हाल ही में लखनऊ विद्युत संपूर्ति प्रशासन (लेसा) को 14 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है. इससे जर्जर तार और ट्रांसफार्मरों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. इसके अलावा इस धनराशि से सिस. गोमती क्षेत्र में पांच उपकेंद्रों के पावर ट्रांसफार्मरों की क्षमता 10 एमवीए से बढ़ाकर 15 एमवीए की जाएगी. ट्रांस गोमती क्षेत्र में विकास नगर के पावर ट्रांसफार्मर के साथ ही इंदिरानगर और रहीम नगर इलाकों में भी ट्रांसफार्मर की कैपेसिटी बढ़ाई जाएगी.

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जल और ताप से पैदा की जा रही बिजली- इस समय उत्तर प्रदेश में जल विद्युत से 48, अलकनन्दा से 416, तापीय विद्युत गृहों से 4789, को जनरेशन से 600, सोलर 1333, रोजा 974, बीइपीएल 365, ललितपुर 1856, बारा 1630, टांडा 375, लैंको 1111 व मेजा से 580 मेगावाट समेत कुल 12633 मेगावाट राज्य सेक्टर से बिजली प्राप्त हो रही है. इसके अतिरिक्त 8361 मेगावाट बिजली खरीदी जा रही है. वर्तमान में प्रदेश को लगभग 21 हजार मेगावाट विद्युत की आपूर्ति प्रतिदिन की जा रही है. अप्रैल माह में अभी तक पिछले साल की तुलना में बिजली की मांग में लगभग सात प्रतिशत और ऊर्जा की खपत में लगभग 20 प्रतिशत अधिक वृद्धि दर्ज की गई है.

सप्लाई पर पड़ा प्रभाव- उत्तर प्रदेश स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर के जो आंकड़े आए उसके मुताबिक प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में तय शेड्यूल 18 घंटे की जगह 17 घंटे 32 मिनट, तहसील स्तर पर 21 घंटे 30 मिनट के बजाय 21 घंटे 7 मिनट बिजली सप्लाई की गई. करीब 30 मिनट की कटौती ग्रामीण और तहसील स्तर पर बिजली विभाग की तरफ से की गई है. यह कटौती जारी है.

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