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हालात नहीं सुधरे तो विश्व में पहचान खो देगा मलिहाबादी दशहरी आम, जानिए क्यों

आम के शौकीनों को इस साल पसंदीदा दशहरी आम खाने के ल‍िए अध‍िक दाम चुकाने होंगे. इस साल आंधी-पानी व ओलावृष्टि से आम की फसल काफी बर्बाद हो गई है. बहरहाल आम की फसल बाजार में आने के लिए अभी डेढ़ महीना बाकी है.

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Published : Apr 17, 2023, 10:17 PM IST

हालात नहीं सुधरे तो विश्व में पहचान खो देगा मलिहाबादी दशहरी आम.

लखनऊ : आम के शौकीनों को इस साल अपना पसंदीदा डाल के दशहरी आम खाने के ल‍िए पहले के मुकाबले अध‍िक पैसे खर्च करने होंगे. दरअसल इस साल आंधी-पानी की वजह से अध‍िकतर पेड़ों के आम झड़ चुके हैं और जो बचे हुए हैं उनमें कीड़े का प्रकोप है. अब ऐसे में आम पर लगे ग्रहण से पैदावार कम होने पर बाजार में आम की कीमत में उछाल आना लाजमी है. आम के व्‍यापार‍ियों का मानना है कि उत्‍पादन कम और मांग अधिक होने की वजह से दाम में बढ़ोतरी हो सकती है. आम के व्‍यापार‍ियों का कहना है क‍ि दशहरी आम आने में अभी महीने भर से ज्यादा है. ऐसे में मल‍िहाबादी दशहरी आम पर बेमौसम बारिश व ओलों की वजह से भारी नुकसान पहुंचा है. इससे आम के उत्पादन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.


बढ़ती गर्मी ने बढ़ाई टेंशन :मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष इंसराम अली के अनुसार मार्च और अप्रैल में टेंपरेचर ज्यादा हो गया है. जो सर्दी उस वक्त आम को मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिली. जिससे जो फूल पेड़ पर आया था वो गिर गया. इसके बाद दवाओं की डुप्लीकेसी बहुत ज्यादा बढ़ गई और सरकार उसे रोक नहीं पाई. जिससे जो कीड़ा बाद में पैदा हुआ वो मरा ही नहीं. 10 प्रतिशत नुकसान दवाओं की डुप्लीकेसी ने पहुंचाया है. इसको लेकर हमने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को लिखा भी था.

हालात नहीं सुधरे तो विश्व में पहचान खो देगा मलिहाबादी दशहरी आम.
प्रदेश में 20 लाख मैट्रिक टन और मलिहाबाद फलपट्टी क्षेत्र में दो लाख मैट्रिक टन से ज्यादा का नुकसान

मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष इंसराम अली बताते हैं कि पूरे उत्तर प्रदेश में 40 से 45 लाख मैट्रिक टन आम का उत्पादन होता है. प्रदेश का जो एरिया है वह 2 लाख 75 हजार हेक्टर का एरिया है. पिछले साल प्रदेश में 15 से 20 लाख मैट्रिक टन आम का उत्पादन हुआ था. इस बार भी नुकसान के बाद इतना ही रहने की उम्मीद लगाई जा रही है. मलिहाबाद फल पट्टी क्षेत्र की बात करे तो यहां 25 से 30 हजार हेक्टर का एरिया है. यहां करीब 6 से 7 लाख मैट्रिक टन की पैदावार होती है. इस बार बागों में बौर देखकर अच्छी फसल की उम्मीद जगी थी, मगर बारिश व ओलों से फसल को भारी नुकसान हुआ है. बारिश के बाद से बागों में कीड़ो ने काफी नुकसान पहुंचाया है. मौजूदा समय मे लासी, हापड़ जैसे रोगों से भारी नुकसान पहुंचा है. जिससे 6 लाख मैट्रिक टन में 2 लाख मैट्रिक टन से ज्यादा का नुकसान होने की उम्मीद है. मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष इंसराम अली ने कहा कि किसान चाहते हैं कि आम के नुकसान पर इस बार मुआवजा दिया जाए. क्योंकि सरकार फलों पर मुआवजा नहीं देती.

हालात नहीं सुधरे तो विश्व में पहचान खो देगा मलिहाबादी दशहरी आम.
मुख्य उद्यान विशेषज्ञ मलिहाबाद डाॅ. राजीव कुमार वर्मा ने बताया कि मलिहाबाद फल पट्टी क्षेत्र में इस वर्ष बढ़िया फसल आई थी, मगर बेमौसम बारिश व ओलो से फसल को नुकसान पहुंचा है. बारिश के बाद से बागों में कई रोग हो गए. जिससे और भी नुकसान हुआ है. मौजूदा समय मे जितनी फसल बची हुई है. अगर बागवान देखरेख अच्छे से करें तो इतनी ही फसल उनके लिए पर्याप्त है.आम की फसल को लेकर जागरूक बागवान जुबैर अहमद बताते हैं कि इस बार की फसल को देखकर बागवानों के चहरे खिल उठे थे कि अच्छी पैदावार होगी, मगर बारिश व ओलों से फसल को काफी हद तक नुकसान हुआ है. कई बागो में तो यह आलम है कि केवल बौर के डंठल बचे हुए हैं. आम खराब होकर ज़मीन पर गिर चुका है, मगर मौजूदा समय मे बागों में जो भी फसल बची हुई है. अगर सभी लोग अच्छे से देख रेख कर ले तो जितनी फसल बची हुई है. उसी में अच्छी पैदावार होगी, क्योंकि कम आम होने से आम महंगा बिकने की उम्मीद है. जिससे आम बागवानों को इसका लाभ होगा, क्योंकि मलिहाबाद के बागवानों का एकमात्र जरिया आम की फ़सल है. अगर फसल अच्छी होगी तो घरों के चूल्हे जलेंगे. अगर फसल डगमगाई तो परिवार का खर्च चलाने में लाले पड़ जाएंगे.सरकार को आम बागवानों की ओर ध्यान देने की जरूरत : आम की फसल को लेकर पूरे देश मे आम की सप्लाई करने वाले आम व्यापारी व बड़े बागवानों में शुमार पंकज गुप्ता बताते हैं कि पूरे विश्व में मलिहाबादी दशहरी अपने रंग रूप और स्वाद को लेकर जानी जाती है. इस वर्ष उस पर बीते महीने हुए बारिश व ओलों से आम की फसल को भारी नुकसान हुआ है. अभी तकरीबन बाजार में आम को आने में डेढ़ महीने का समय बचा हुआ है. इस डेढ़ महीने में अभी कई दैवीय आपदाएं आने के बाद जो फसल बचेगी वह बाजारों में आएगी. आम बागवानों की बात करें तो इतनी लागत के बाद भी आम बागवानों को लाभ नहीं हो रहा है. बेफजूल के खर्चों और आमों पर कीटों के लगातार बढ़ते प्रकोप के चलते फसल को नुकसान हो रहा है. आम बागवानों की आर्थिक स्थिति हर वर्ष बद से बदतर होती चली जा रही है. सरकार को आम बागवानों के ऊपर ध्यान देने की जरूरत है.
हालात नहीं सुधरे तो विश्व में पहचान खो देगा मलिहाबादी दशहरी आम.
मलिहाबाद फलपट्टी होने का नहीं मिला लाभ : बागवान सैय्यद खलील अहमद ने बताया कि इस साल आम की फसल कई सालों के बाद बम्पर आई थी. जिससे बागवानों को उम्मीद जगी थी कि उनके दुख के दिन दूर हो जाएंगे, मगर कुदरत के कहर ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया. बारिश व ओलों की वजह से तकरीबन 70 से 75 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई है. मौजूदा समय मे 30 से 35 प्रतिशत जो फसल बची हुई है. उसकी भी उम्मीद अभी से नहीं लगाई जा सकती है. बारिश व ओलों के बाद नकली पेस्टिसाइड से काफी नुकसान हो गया है. फलपट्टी क्षेत्र की सुविधाएं आम बागवानों को मिल नहीं रही हैं. अगर यही हालात रहे तो आने वाले दौर में पूरे विश्व में मशहूर भारत का मलिहाबादी आम अपनी पहचान खो देगा.यह भी पढ़ें : नगर निकाय में भाजपा का नया नारा, यही समय है, सही समय है..., जानिए क्या है मतलब

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