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Mangal Pandey Birth Anniversary : मंगल पांडे के विद्रोह से शुरू हुआ था भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम - लखनऊ ताजा खबर

1857 की क्रांति के नायक मंगल पांडे (Mangal Pandey Birth Anniversary) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले क्रांतिकारी थे. आज 19 जुलाई को उनकी 194वीं जयंती है. 29 मार्च 1857 को मंगल पांडे ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला था. उन्हें 8 अप्रैल 1857 को फांसी दी गई थी. ब्रिटिश सेना में रहते हुए उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला था.

मंगल पांडे की जयंती
मंगल पांडे की जयंती

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Published : Jul 19, 2021, 7:03 AM IST

Updated : Jul 19, 2021, 9:27 AM IST

लखनऊ: अंग्रेजों के खिलाफ सिर उठाने वाले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले क्रांतिकारी के तौर पर विख्यात मंगल पांडे (Mangal Pandey Birth Anniversary) ने पहली बार 'मारो फिरंगी को' का नारा देकर भारतीयों का हौसला बढ़ाया था. उनके विद्रोह से ही प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत हुई थी. आज 19 जुलाई को उनकी 194वीं जयंती है. 29 मार्च 1857 को मंगल पांडे ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला था. उन्होंने कलकत्ता के पास बैरकपुर परेड मैदान में रेजीमेंड के अफसर पर हमला कर उसे घायल कर दिया था. उन्हें ऐसा महसूस हुआ था कि यूरोपीय सैनिक भारतीय सैनिकों को मारने आ रहे हैं. उसके बाद उन्होंने ये कदम उठाया था.

कौन थे मंगल पांडे
अमर शहीद मंगल पांडे (Mangal Pandey Birth Anniversary) का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे और माता का नाम अभय रानी था. हालांकि कई इतिहासकार ने बताया है कि उनका जन्म फैजाबाद जिले की अकबरपुर तहसील के सुरहुरपुर गांव में हुआ था. वे 1849 को ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भर्ती हुए. उन्हें बैरकपुर की सैनिक छावनी में 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री में शामिल किया गया था. वे पैदल सेना के 1446 नंबर के सिपाही थे. मंगल पांडे की जीवन पर फिल्म भी बन चुकी है. मंगल पाण्डेय-दी रायसिंग स्टार नाम से 2005 में बनी हिंदी फिल्म में बॉलीवुड स्टार आमिर खान ने उनका किरदार निभाया था. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि वह मूल निवासी बलिया के नगवा ग्राम के थे लेकिन मंगल पांडे के फैजाबाद में जन्म के बाद वह फिर बलिया चले गए थे. वैसे मंगल पांडे के पिता का नाम दिनकर पांडे था और मां का नाम अमरावती था. उनका जन्म 19 जुलाई 1827 का माना जाता है, कुछ जगह पर उनका जन्म 30 जनवरी 1831 का बताया गया है.

मंगल पांडे.

'मारो फिरंगी' का दिया था नारा
मंगल पांडे मारो फिरंगी का नारा दिया था. उन्हें भारत के पहले शहीदों में से एक माना जाता है. उन्होंने जिस स्थान पर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था और बाद में जहां उन्हें फांसी दी गई, वह स्थान अब शहीद मंगल पांडे महा उद्यान के रूप में जाना जाता है.

1984 में उनके सम्मान में जारी हुआ डॉक टिकट
भारत सरकार ने 5 अक्टूबर, 1984 को उनके नाम से डाक टिकट जारी किया था. मंगल पांडे ने कलकत्ता के निकट बैरकपुर छावनी में अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था.

1984 में उनके सम्मान में जारी हुआ डॉक टिकट

मंगल पांडे पर बन चुकी है फिल्म
मंगल पांडे 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री (बीएनआई) का हिस्सा थे, जो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का हिस्सा था. वह इसमें सिपाही थी. उन्होंने 18 साल की छोटी उम्र में बंगाल इन्फैंट्री की छठी कंपनी में काम करना शुरू कर दिया था. मंगल पांडे की जीवन पर फिल्म भी बन चुकी है. मंगल पाण्डेय-दी रायसिंग स्टार नाम से 2005 में बनी हिंदी फिल्म में बॉलीवुड स्टार आमिर खान ने उनका किरदार निभाया.

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अंग्रेज अधिकारियों द्वारा भारतीय सैनिकों पर अत्याचार तो हो ही रहा था, लेकिन हद तब हो गई. जब भारतीय सैनिकों को ऐसी बंदूक दी गईं, जिसमें कारतूस भरने के लिए दांतों से काटकर खोलना पड़ता है. इस नई एनफील्ड बंदूक की नली में बारूद को भरकर कारतूस डालना पड़ता था. वह कारतूस जिसे दांत से काटना होता था, उसके ऊपरी हिस्से पर चर्बी होती थी. उस समय भारतीय सैनिकों में अफवाह फैली थी कि कारतूस की चर्बी सुअर और गाय के मांस से बनाई गई है. ये बंदूकें 9 फरवरी 1857 को सेना को दी गईं. इस्तेमाल के दौरान जब इसे मुंह लगाने के लिए कहा गया तो मंगल पांडे ने ऐसा करने से मना कर दिया था. उसके बाद अंग्रेज अधिकारी गुस्सा हो गए. फिर 29 मार्च 1857 को उन्हें सेना से निकालने, वर्दी और बंदूक वापस लेने का फरमान सुनाया गया. उसी दौरान एक अंग्रेज अफसर उनकी तरफ बढ़ा, लेकिन मंगल पांडे ने भी उन पर हमला बोल दिया. उन्होंने साथियों से मदद करने को कहा, लेकिन कोई आगे नहीं आया. फिर भी वे डटे रहे उन्होंने अंग्रेज अफसरों पर गोली चला दी. जब कोई भारतीय सैनिकों ने साथ नहीं दिया तो उन्होंने अपने ऊपर भी गोली चलाई. हालांकि वे सिर्फ घायल हुए. फिर अंग्रेज सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया. 6 अप्रैल 1857 को उनका कोर्ट मार्शल किया गया और 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई.

Last Updated : Jul 19, 2021, 9:27 AM IST

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