लखनऊ: मानसिक एवं शारीरिक निर्योग्यता (ऑटिज्म) से पीड़ित महिला के साथ दुराचार करने के आरोपी खुशाल सिंह को कोर्ट ने सजा सुनाई है. आयुर्वेद घोटाला प्रकरण के विशेष न्यायाधीश डॉ. अवनीश कुमार ने दोषी पाते हुए आरोपी को उम्रकैद की सजा और 50 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है.
अदालत ने आरोपी को कारावास की सजा से दंडित करने के उपरांत अपने आदेश में कहा है कि शारीरिक व मानसिक आघात के लिए पीड़िता को अभियुक्त से प्रति कर दिलाया जाना भी उचित प्रतीत होता है, क्योंकि पीड़िता आटिस्टिक अथवा ऑटिज्म से पीड़ित है. लिहाजा खुशाल सिंह पर लगाए गए अर्थदण्ड की सम्पूर्ण धनराशि पीड़िता के पिता को बतौर प्रतिकर अदा की जाएगी. उसके पिता इस धनराशि का उपयोग पीड़िता के चिकित्सा एवं पुनर्वास हेतु कराना सुनिश्चित करेंगे. अदालत के समक्ष अपने तर्क प्रस्तुत करते हुए सरकारी वकीलों ने दलील दी कि इस मामले की रिपोर्ट पीड़िता के पिता द्वारा 26 नवंबर 2018 को मड़ियांव थाने में दर्ज कराई गई थी.
रिपोर्ट में कहा गया था कि उनकी पुत्री देहरादून में 6 वर्षों से रह रही है. रिपोर्ट में यह भी है कि उसकी पुत्री ऑटिस्टिक से पीड़ित है, इस वजह से वह देहरादून में रहती है और छुट्टियों में लखनऊ आती है. कहा गया है कि इसी बीच 22 नवंबर 2018 को श्रीमती अपर्णा दास एनजीओ डायरेक्टर अरुणिमा ने फोन पर बताया कि उनकी पुत्री 19 सप्ताह की गर्भवती है और अल्ट्रासाउंड में इसकी पुष्टि हुई है. पीड़िता के पिता ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कहा था कि संस्था में रहने के दौरान उसकी बेटी के साथ किसी ने दुराचार किया है, जिसकी वजह से वह गर्भवती हो गई है.
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी एवं सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता की दलील थी कि ऑटिज्म अर्थात मानसिक एवं शारीरिक निर्योग्यता से पीड़ित पीड़िता के साथ उसको ट्रेनिंग देने वाली समर्पण संस्था के ट्रेनर होते हुए अभियुक्त खुशाल सिंह द्वारा उसके साथ बलात्कार किया गया है, जिसके परिणाम स्वरुप वह गर्भवती हो गई. अभियोजन ने इस कृत्य को घृणित बताते हुए अधिक से अधिक दंड दिए जाने की याचना की थी.